Education
Mann Sarkar का Education में Revolutionary Contribution: Teachers का सम्मान और युवाओं के उज्जवल भविष्य की नई शुरुआत

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में जो बड़े और सकारात्मक बदलाव किए हैं, उन्होंने पूरे देश में एक नई मिसाल पेश की है।
विश्व शिक्षक दिवस (World Teachers’ Day) के मौके पर श्री आनंदपुर साहिब में राज्य स्तरीय समारोह आयोजित किया गया, जहाँ मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को सम्मानित करते हुए उन्हें “राष्ट्र निर्माता (Nation Builder)” बताया।
शिक्षक: पेशा नहीं, एक पवित्र मिशन
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि शिक्षण सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने का एक पवित्र मिशन है।
उन्होंने भावुक होकर बताया कि वे खुद एक शिक्षक के बेटे हैं, इसलिए वे जानते हैं कि एक अध्यापक कितनी मेहनत और निष्ठा से बच्चों का भविष्य बनाता है।
मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से अपील की कि वे बच्चों को पंजाब की गौरवशाली विरासत, इतिहास और संस्कृति से जोड़ें ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ी रहे और आधुनिकता के साथ अपने संस्कार भी बनाए रखे।
विरासत से जुड़ा नया कदम
मुख्यमंत्री ने बताया कि 55 साल बाद, राज्य सरकार ने श्री आनंदपुर साहिब में तख्त श्री केसगढ़ साहिब तक “विरासत मार्ग” (Heritage Path) के निर्माण का काम शुरू किया है।
यह पहल पंजाब की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर को नई पीढ़ी से जोड़ने का प्रतीक है।
बाढ़ आपदा में शिक्षकों की मिसाल
मुख्यमंत्री ने हाल ही में आई बाढ़ आपदा के दौरान शिक्षकों और जनता की सेवा भावना की तारीफ की।
उन्होंने बताया कि इस बाढ़ में:
- 3,200 सरकारी स्कूल,
- 19 कॉलेज,
- 8,500 किलोमीटर सड़कें,
- और 2,500 पुल क्षतिग्रस्त हुए।
फिर भी पंजाब के शिक्षकों ने साहस और जिम्मेदारी की मिसाल पेश की।
मुख्यमंत्री ने कहा, “ऐसे उदाहरण विश्व इतिहास में बहुत कम मिलते हैं — पंजाब के शिक्षक सिर्फ अध्यापक नहीं, बल्कि समाज के सच्चे मार्गदर्शक हैं।”
71 शिक्षकों को मिला सम्मान
कार्यक्रम में 71 उत्कृष्ट शिक्षकों को राज्य शिक्षक पुरस्कार (State Teacher Award) से सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “गुरु” शब्द संस्कृत के “गु” (अंधकार) और “रु” (हटाने वाला) से मिलकर बना है — यानी “जो अंधकार को दूर करे।”
उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज में ज्ञान, जागरूकता और रोशनी फैलाने का काम करते हैं और सरकार उनके इस योगदान को नमन करती है।

शिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण
पंजाब सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता को इंटरनेशनल लेवल तक पहुँचाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं:
- 234 प्रिंसिपल्स और शिक्षा अधिकारी → सिंगापुर में ट्रेनिंग
- 152 मुख्य शिक्षक → IIM अहमदाबाद में एडवांस कोचिंग
- 144 प्राथमिक शिक्षक → फिनलैंड की Turku University में विशेष ट्रेनिंग
- 1,920 कैंपस मैनेजरों की नियुक्ति की गई है ताकि शिक्षक प्रशासनिक कामों से मुक्त होकर पढ़ाई पर पूरा ध्यान दे सकें।
मुख्यमंत्री ने बताया कि नवंबर में एक और बैच फिनलैंड जाएगा।
“शिक्षा क्रांति” और स्कूल ऑफ एमीनेन्स
मुख्यमंत्री ने कहा कि साल 2022 में शुरू की गई “शिक्षा क्रांति” के तहत शिक्षा व्यवस्था में बड़े सुधार किए गए हैं।
- अब तक 118 School of Eminence बनाए जा चुके हैं।
- इन पर सरकार ने ₹231.74 करोड़ खर्च किए हैं।
- इन स्कूलों में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चे विश्वस्तरीय शिक्षा (World-Class Education) पा रहे हैं।
- खास बात यह है कि अब Private Schools के बच्चे भी इन सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं — यह मान सरकार की नीति की सबसे बड़ी सफलता है।
इन स्कूलों के छात्रों ने राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं में शानदार प्रदर्शन किया:
- 265 विद्यार्थियों ने JEE Mains,
- 44 ने JEE Advanced,
- और 848 ने NEET में सफलता पाई है।
स्कूल मेंटरशिप और अभिभावक-शिक्षक मीटिंग्स
सरकार ने School Mentorship Program भी शुरू किया है, जिसके तहत सिविल अधिकारी सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को गाइड कर रहे हैं।
साथ ही Parent-Teacher Meeting (PTM) को नई ऊर्जा मिली है —
अब तक 25 लाख से ज़्यादा अभिभावक
19,200 सरकारी स्कूलों में आयोजित PTM में शामिल हो चुके हैं।
पंजाब का भविष्य शिक्षा से उज्जवल
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि,
“शिक्षकों का समर्पण, विद्यार्थियों की मेहनत और सरकार की दूरदर्शी नीतियाँ मिलकर पंजाब के भविष्य को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँगी।”
कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस, लोकसभा सदस्य मालविंदर सिंह कंग, और कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
यह समारोह सिर्फ एक सम्मान समारोह नहीं था, बल्कि “शिक्षा के ज़रिए समृद्ध पंजाब (Educated and Prosperous Punjab)” की दिशा में एक प्रेरक कदम था।
मान सरकार की ये पहलें साबित करती हैं कि अगर नीयत और नीति दोनों साफ हों, तो सरकारी स्कूल भी बच्चों को विश्वस्तरीय शिक्षा दे सकते हैं।
पंजाब की शिक्षा व्यवस्था आज बदलाव के दौर से गुजर रही है — जहाँ हर बच्चा शिक्षित, आत्मनिर्भर और अपनी विरासत पर गर्व करने वाला नागरिक बन सके।
Art & Culture
Punjab का खाद्य क्षेत्र: AI और AgriTech से बदली तस्वीर, विश्व खाद्य मेला 2025 में केंद्र बना पंजाब

विश्व खाद्य मेला 2025 में पंजाब सरकार ने अपनी एआई-पावर्ड कृषि और खाद्य प्रसंस्करण तकनीक से वैश्विक मंच पर अलग पहचान बनाई। पंजाब का नवाचार-आधारित पंडाल इस पूरे आयोजन का आकर्षण रहा, जहाँ राज्य ने अपनी कृषि सफलता और भविष्य की संभावनाओं का प्रभावशाली प्रदर्शन किया।
पंजाब, जो अब तक पारंपरिक कृषि मॉडल के लिए जाना जाता था, अब आधुनिक खेती और स्मार्ट एग्रीटेक के जरिए पूरे देश के लिए रोल मॉडल बन रहा है। इस बार के विश्व खाद्य मेले में पंजाब ने दिखाया कि कैसे एआई, डिजिटल डेटा और तकनीकी हस्तक्षेप किसानों को सीधी मदद देकर उनकी आय दुगुनी करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भूमिका निभा रहे है।
सरकार की “स्मार्ट कृषि योजना” ने किसानों को एआई और डेटा एनालिटिक्स का आसान उपयोग उपलब्ध कराया है। इससे उन्हें बाज़ार की मांग, फसलों के स्वास्थ्य और उत्पादन का सटीक अनुमान मिलता है। परिणामस्वरूप फसल की पैदावार गुणवत्ता के साथ बढ़ी है और उत्पादन लागत में उल्लेखनीय कमी आई है, जिसने पंजाब को पूरे देश का टेक्नोलॉजी-ड्रिवन कृषि राज्य बना दिया है।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भी पंजाब तेज़ी से उभर रहा है। अत्याधुनिक उपकरण और स्वचालन तकनीक अपनाए जाने से उत्पादन चेन में सुधार हुआ है। खाद्य उद्योग में इस सफाई और स्थिरता ने न केवल किसानों की फसल का मूल्य बढ़ाया है, बल्कि प्रसंस्करण इकाइयों को भी तेज़ी से विस्तार करने का अवसर दिया है।
पंजाब सरकार के प्रयासों का सबसे बड़ा लाभ राज्य के किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को हुआ है। नई तकनीक ने कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और shelf life दोनों बढ़ा दी है, जिससे किसानों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों तक सीधी पहुंच मिली है। इससे राज्य का खाद्य निर्यात भी बढ़ा है और पंजाब भारत की फूड इकॉनमी में अग्रणी केंद्र के रूप में उभरा है।
विदेशी निवेशकों और तकनीकी कंपनियों के लिए पंजाब का यह विकास खासा आकर्षक सिद्ध हो रहा है। विश्व खाद्य मेला 2025 में पंजाब का पंडाल विदेशी विशेषज्ञों का प्रमुख फोकस रहा, जहाँ उन्होंने राज्य की निवेश संभावनाओं और नीति समर्थन की सराहना की। कई कंपनियां पंजाब में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ और टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप स्थापित करने की इच्छुक नजर आई।

सरकार ने युवाओं और स्टार्टअप उद्यमियों को भी कृषि क्षेत्र से जोड़ने पर ज़ोर दिया है। युवा उद्यमिता प्रोत्साहन योजनाओं ने नवाचार को बढ़ावा दिया है और कृषि आधारित स्टार्टअप्स को ऊर्जा दी है। इससे न केवल रोज़गार के नए अवसर बने है, बल्कि ग्रामीण प्रतिभाओं को भी वैश्विक बाज़ार तक पहुंचने का मंच मिला है।
खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के क्षेत्र में पंजाब के कदम ने राज्यों और देशों के लिए आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया है। कृषि सहायक संस्थाओं और सरकारी विभागों ने मिलकर आधुनिक हस्तक्षेप विकसित किए है, जिससे फसलों की पैदावार बढ़ने के साथ-साथ स्थिर और टिकाऊ कृषि मॉडल तैयार हुआ है। यह प्रयास केवल किसानों की आय ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य की अर्थव्यवस्था में नई जान डाल रहा है।
विश्व खाद्य मेला 2025 में “पंजाब पार्टनर स्टेट सैशन” विशेष ध्यान का केंद्र बना हुआ है। सरकार ने सभी हितधारकों को इसमें आमंत्रित किया है ताकि वे न केवल पंजाब की कृषि यात्रा को समझें, बल्कि भविष्य की इस प्रगति का हिस्सा बनकर राज्य के साथ साझेदारी भी करे। यह पहल पंजाब को कृषि नवाचार, खाद्य प्रसंस्करण और स्मार्ट खेती का वैश्विक लीडर बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है।
Education
Fitness Myth: सोशल मीडिया के फिटनेस Influencer और अनुभवहीन जिम ट्रेनर के कारण भ्रम

स्वस्थ जीवनशैली के लिए लोग कई तरह के वर्कआउट ट्रेंड अपनाते हैं। फिट रहने के लिए लोग विभिन्न तरह के मानकों और नुस्खों को भी फॉलो करते हैं। जैसे, तीव्र वर्कआउट के बाद बर्फ लगाना ताकि चोट के खतरे से बचे रहें। इसके अलावा कई लोगों को लगता है ज्यादा समय तक दौड़ने से घुटने खराब हो जाते हैं। अमूमन लोग इन फिटनेस फंडों को सही मानते हैं। लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स की राय अलग है। न्यूयॉर्क के लीमैन कॉलेज में एक्सरसाइज साइंस के प्रोफेसर ब्रैड स्कोनफेल्ड कहते हैं, फिटनेस की दुनिया गलतफहमियों से भरी हुई है, इसके लिए जिम्मेदार हैं सोशल मीडिया के फिटनेस इंफ्लुएंसर और अपरिपक्व जिम ट्रेनर्स, जो लोगों में Fitness Myth पैदा कर रहे हैं। ऐसे में जानते हैं फिटनेस और वर्कआउट से जुड़े प्रमुख मिथकों के बारे में…
Myth 1 – ज्यादा देर तक दौड़ने से घुटने खराब हो जाते हैं
ऐसी धारणा है कि दौड़ने से ऑस्टियोआर्थराइटिस होता है। यानी जोड़ों में गठिया। लेकिन डॉ. गोल्डमैन कहते हैं ‘सालों तक विशेषज्ञ मानते थे कि हमारे घुटने कार के टायर की तरह हैं। आप ज्यादा कार चलाते हैं तो टायर खराब हो जाएंगे। लेकिन यह गलत है। दरअसल हमारा शरीर गतिशील होता है और हमारे जोड़ खुद को पुनर्जीवित कर सकते हैं, खासकर तब जब हम नियमित रूप से सक्रिय होते हैं।’ इसलिए ज्यादा समय तक दौड़ने से घुटने खराब नहीं होते हैं।
Myth 2 – स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन 10 हजार कदम आवश्यक
यह मिथक 1960 से चला आ रहा है, जब एक जापानी घड़ी निर्माता ने बड़े पैमाने पर एक पेडोमीटर का उत्पादन किया था। उस पेडोमीटर का नाम ’10 हजार कदम मीटर’ था। इसके बाद यह मिथक तेजी से फैला । लेकिन अमेरिकन काउंसिल ऑन एक्सरसाइज के अध्यक्ष सेड्रिक ब्रायंट एक साल पहले ही इसे गलत साबित कर चुके हैं। वे कहते हैं दिन में लगातार 4 हजार कदम चलना भी काफी है, लेकिन जरूरी है विभिन्न तरह की वॉकिंग को अपनाते रहना। 10 हजार कदम जादुई नंबर नहीं है।
Myth 3 – कसरत के बाद बर्फ की सिंकाई से बेहतर रिकवरी होती है
कठिन कसरत के बाद बर्फीले टब में उतरना चोट से सुरक्षा की तरह महसूस हो सकता है, क्योंकि यह सूजन को कम करने में मदद करता है। लेकिन इसमें एक समस्या है। डॉ. गोल्डमैन कहते हैं, ‘ यदि आप प्रत्येक कसरत के बाद बर्फ से सिंकाई करते हैं, तो आप शरीर की मरम्मत प्रक्रिया को धीमा या बंद कर देते हैं। दरअसल जब बॉडी खुद किसी सूजन की मरम्मत करती है तो इससे शरीर की क्षमता भी बढ़ती है। या अगर सिंकाई करनी है तो एक्सरसाइज के अगले दिन करें।
Myth 4 – मसल्स बनाने के लिए भारी वजन उठाना आवश्यक जो लोग नियमित रूप से जिम जाते हैं उनमें यह धारणा पिर्मित हो जाती है कि मसल्स के लिए भारी वजन उठाना जरूरी है। लेकिन मांसपेशियों की वृद्धि का अध्ययन करने वाले डॉ. ब्रैड स्कोनफेल्ड कहते हैं, ‘कई शोध बताते हैं कि चाहे आप 30 किलोग्राम जैसे भारी वजन उठाएं या पांच से 12 किलो के हल्के वजन उठाएं, मांसपेशियों और ताकत के निर्माण में दोनों बराबर ही प्रभावी हैं। यह व्यक्तिगत पसंद का मामला होता है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार सेहत से जुड़ी इन प्रचलित बातों में पूरी तरह सच्चाई नहीं है !
Education
Canada की अंतर्राष्ट्रीय छात्र नीति में बदलाव के बाद पंजाब के ILETS केंद्रों को भारी नुकसान

अंतर्राष्ट्रीय अंग्रेजी भाषा परीक्षण प्रणाली (आई. ई. एल. टी. एस.) केंद्रों के मालिकों द्वारा देखे जाने के अनुसार, कनाडा सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के प्रवेश पर सीमा लगाने, सार्वजनिक-निजी कॉलेजों के बीच सहयोग की समाप्ति और पति-पत्नी मुक्त कार्य वीजा में संशोधन से संबंधित हाल के संशोधनों के परिणामस्वरूप विदेशी छात्रों की आमद में पर्याप्त गिरावट आई है। ये प्रतिष्ठान पीटीई (पियर्सन टेस्ट ऑफ इंग्लिश) जैसे कई अन्य अंग्रेजी प्रवीणता कार्यक्रम भी प्रदान करते हैं, जिसने छात्रों के बीच हाल ही में लोकप्रियता हासिल की है और कनाडा में भी मान्यता प्राप्त है।
राज्य के प्रमुख ILETS केंद्रों और विदेशी परामर्श फर्मों में से एक, जालंधर में जैन ओवरसीज का प्रतिनिधित्व करने वाले सुमित जैन ने टिप्पणी की, “मैंने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के संबंध में कनाडा सरकार द्वारा हाल ही में नीतिगत परिवर्तनों के कारण छात्र नामांकन में लगभग 50 प्रतिशत की कमी देखी है।” इन परिवर्तनों के बावजूद, जैन ने अपनी सुव्यवस्थित आवेदन प्रक्रियाओं के कारण छात्रों के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में कनाडा की स्थायी अपील पर जोर दिया।
फिर भी, छात्रों से अब आग्रह किया जाता है कि वे अपनी अकादमिक गतिविधियों को गंभीरता से लें और दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए प्रतिष्ठित सार्वजनिक कॉलेजों का चयन करें, न कि ऐसे पाठ्यक्रमों का अनुसरण करें जो उनके कौशल विकास में योगदान नहीं करते हैं। जैन ने जोर देकर कहा कि कनाडा अब अकुशल व्यक्तियों की तुलना में कुशल व्यक्तियों को प्राथमिकता देता है, इसलिए इस तरह के नीतिगत बदलावों की आवश्यकता है।
एक अन्य प्रमुख केंद्र, जालंधर में पिरामिड ई-सर्विसेज के एसोसिएट डायरेक्टर सुनील कुमार वशिष्ठ ने कनाडा सरकार के संशोधनों के बाद छात्रों की उपस्थिति में 25 से 30 प्रतिशत की कमी का उल्लेख किया। वशिष्ठ के अनुसार, नए नियम छात्रों को आईईएलटीएस में सराहनीय अंक प्राप्त करने और सावधानीपूर्वक अपने पाठ्यक्रमों का चयन करने के लिए अनिवार्य करते हैं। पहले, कई छात्र अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दिए बिना कनाडा में बसने की इच्छा रखते थे; हालाँकि, प्रतिमान बदल गया है, जो अकादमिक गतिविधियों को प्राथमिकता देने की अनिवार्यता पर जोर देता है। कनाडा को वर्तमान में कुशल पेशेवरों की आवश्यकता है।
कपूरथला में आई-कैन कंसल्टेंसी का संचालन करने वाले सलाहकार और आईईएलटीएस प्रशिक्षक गुरप्रीत सिंह ने हाल ही में कनाडा की नीति में बदलाव के बाद छात्रों के नामांकन में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी का खुलासा किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अपनी 10+2 परीक्षा पूरी करने के बाद, कई छात्रों ने पहले आईईएलटीएस और संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया था। हालांकि, इस मौसम में, छात्र परामर्श सेवाओं से जुड़ने से पहले विभिन्न विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।
हाल ही में, कनाडा ने एक सीमा लागू की, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का प्रवेश 360,000 तक सीमित कर दिया गया। इसके अलावा, डिप्लोमा पाठ्यक्रमों का अनुसरण करने वालों के लिए सार्वजनिक-निजी कॉलेज साझेदारी को बंद करने जैसे अन्य संशोधनों के साथ-साथ स्पौसल ओपन वर्क वीजा को भी बंद कर दिया गया है। नतीजतन, छात्रों को अब सार्वजनिक कॉलेजों में कक्षाओं में लगन से भाग लेने के लिए अनिवार्य किया गया है, निजी संस्थानों के विपरीत जहां उपस्थिति न्यूनतम थी, क्योंकि वे बाद के सेमेस्टर के लिए वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए मुख्य रूप से रोजगार पर ध्यान केंद्रित करते थे। इस संक्रमण का उद्देश्य कनाडा में अकुशल व्यक्तियों के पूर्व प्रवाह को संबोधित करना है, जो कुशल श्रम के लिए देश की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं था।
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