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India giving startups new direction, नौकरी छोड़ बिजनेस पर फोकस ज्यादा

Startups: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में Startup India की शुरुआत की थी, जिसका मकसद भारत में स्टार्टअप सेक्टर और इनोव्शन को प्रोत्साहित करना था। जो कि विभिन्न क्षेत्रों में नई संभावनाओं को खोल रहा है। ये स्टार्टअप्स न केवल अपने उद्यमिता को समृद्ध कर रहे हैं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी विकास के माध्यम बन रहे हैं। दरअसल, भारत में स्टार्टअप कल्चर के कारण यहाँ पर नए-नए उद्यमियों के लिए रोजगार के नए स्रोत उत्पन्न हो रहे हैं और नई तकनीकों और आधुनिक सोच के साथ आज का युवा आगे बढ़ रहा है।
स्टार्टअप्स ने E-learning को दिया एक नया रूप
इन स्टार्टअप्स के माध्यम से, युवाओं को नए कौशल और अनुभव प्राप्त हो रहे हैं, जो उन्हें न केवल अपने व्यावसायिक सपनों को पूरा करने में मदद कर रहे हैं, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए भी बेहतर तैयार कर रहे हैं। स्टार्टअप्स में सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है ई-लर्निंग। आजकल कोडिंग से लेकर डिजाइनिंग तक हर तरह की चीज को ई-लर्निंग के माध्यम से सीखा जा सकता है। स्टार्टअप्स ने आज की तेज और बदलती दुनिया में शिक्षा को एक नया रूप दिया है। इंटरनेट की मदद से आप कही से भी, कुछ भी देख सकते हैं और सीख सकते हैं। यह न केवल बच्चों के लिए है, बल्कि युवा, प्रोफेशनल्स, और बुजुर्गों के सीखने के लिए भी एक अच्छा प्लेटफॉर्म है। इससे न केवल हमारे ज्ञान में विस्तार होता है, बल्कि हमारे करियर के लिए नए रास्ते खुलते है
10 साल में 300 गुना बढ़े स्टार्टअप्स
स्टार्टअप्स का जादू भारतीय युवाओं पर जमकर सवार है। इसके दस साल के सफर में, भारतीय स्टार्टअप्स की संख्या में लगभग 300 गुना वृद्धि हुई। 2014 में सिर्फ 350 स्टार्टअप्स थे, और आज, यहाँ स्थिति बदल गई है – भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में पहचाना जाता है।
आज के युवा नए और अद्भुत आइडियों के साथ न केवल अपने व्यवसायों को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि रोजगार के नए स्रोत भी खोल रहे हैं। वे अपने नए आइडियाज के माध्यम से समस्याओं को समाधान भी कर रहे है।
इस वृद्धि के पीछे कई कारण हैं, जैसे कि सरकारी नीतियाँ और प्रोत्साहन, नवाचारी विचारधारा, बदलते बाजार की मांग, और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के प्रयोग में वृद्धि।
बच्चों की स्किल्स डेवलप कर रहे स्टार्टअप्स
बच्चों के स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने वाले ये स्टार्टअप कमाल के काम कर रहे हैं। अब बच्चे ऑनलाइन सीख कर खुद को बेहतर बना रहे हैं। इससे न केवल उनके नए ज्ञान का विकास हो रहा है, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है।
बच्चों को सीखने में मदद करने वाले कुछ स्टार्टअप्स हैं, जैसे:
Coding Kids – यह बच्चों को कंप्यूटर कोडिंग और प्रोग्रामिंग सिखाता है।
Great Learnings – यह साइंस, मैथ और इंजीनियरिंग के कॉन्सेप्ट को समझाता है।
Kidzo – यह बच्चों के लिए Excellent Educational Tools और कंटेंट प्रदान करता है।
Children’s Special – यह बच्चों को आर्ट, म्यूजिक और डांस सिखाता है।
Junior Entrepreneurs- यह बिजनेस और उद्योग के बारे में शिक्षा देता है।
स्टार्टअप्स में इन कंपनियों का रहा शानदार प्रदर्शन
भारतीय स्टार्टअप तेजी से बढ़ रहे है। करीब 20 कंपनियाँ तेजी से यूनिकॉर्न क्लब की ओर बढ़ रही हैं। पिछले साल की तुलना में, केवल Zepto और Incred ही यूनिकॉर्न क्लब का हिस्सा बन पाए थे। लेकिन इस बार अन्य कंपनियां भी इस क्लब में शामिल होने के लिए तैयार है। Bookmyshow, fintech Navi, Paymate, Refine, Clear, Ind Money, Jupiter, agritech firm Ninjacart और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Biz on Go – ये सभी यूनिकॉर्न क्लब का हिस्सा बन सकते है।
भारत में स्टार्टअप के लिए सरकार क्या मदद करती है?
भारत में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं और उपाय किए हैं।
स्टार्टअप इंडिया: भारत सरकार ने “स्टार्टअप इंडिया” अभियान शुरू किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य नई और नवाचारी व्यवसायों को स्थापित करना है।
स्टार्टअप फंड: सरकार ने स्टार्टअप फंड स्थापित किया है जिसमें वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ताकि स्टार्टअप कंपनियों को सहारा मिल सके।
निवेशकों का समर्थन: सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित किया है, जिससे उन्हें स्टार्टअप्स में निवेश करने का साहस मिल सके।
फिस्कल और कानूनी प्रोत्साहन: सरकार ने कई फिस्कल और कानूनी उपाय लिए हैं, जैसे कि निर्धारित अवधि के लिए छूट और टैक्स छूट।
भारतीय अर्थव्यवस्था की समृद्धि के लिए स्टार्टअप्स का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है, और उभरता हुआ क्षेत्र तेजी से बढ़ते हुए नए रोजगार उत्पन्न कर रहा है। वित्त मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि स्टार्टअप इकोसिस्टम में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है और सरकार के प्रोत्साहन उसे और मजबूत बना रहे है। आगे बढ़ते हुए, हमें इस प्रगति को बनाए रखने के लिए स्टार्टअप्स के समर्थन के लिए नई पहलों की आवश्यकता है। यह न केवल नए रोजगार के रूप में निरंतर योगदान करेगा, बल्कि नई और उन्नत तकनीकी और आर्थिक संरचनाओं को भी जन्म देगा। हमें आगे बढ़ने के लिए इस नए दिशा में सम्मिलित होने की आवश्यकता है।
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Adani-Hindenburg Case: SEBI ने Gautam Adani and Group को कुछ आरोपों में दी Clean Chit

अदाणी-हिंडनबर्ग विवाद में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। SEBI (Securities & Exchange Board of India) ने अदाणी ग्रुप और उसके चेयरमैन गौतम अदाणी को कुछ गंभीर आरोपों से क्लीन चिट दे दी है। ये वही आरोप हैं जो अमेरिकी फर्म Hindenburg Research ने जनवरी 2023 में लगाए थे।
SEBI की जांच के मुताबिक, ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि अदाणी ग्रुप ने related party transactions का इस्तेमाल कर अपने ही listed companies में गुपचुप तरीके से फंड्स डाले। यह मामला खासतौर पर तीन कंपनियों—Adicorp Enterprises Pvt. Ltd., Milestone Tradelinks Pvt. Ltd. और Rehvar Infrastructure Pvt. Ltd.—से जुड़ा था।
SEBI ने साफ कहा कि इन तीनों कंपनियों और अदाणी ग्रुप की कंपनियों के बीच जो लेन-देन हुए, वे related party transactions की परिभाषा में नहीं आते। इसका मतलब है कि अदाणी ग्रुप ने इस मामले में किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है।
क्या था मामला?
जनवरी 2023 में Hindenburg Research ने एक explosive रिपोर्ट जारी की थी। इसमें अदाणी ग्रुप पर बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट फ्रॉड, मनी लॉन्ड्रिंग और शेयर की कीमतों में हेरफेर जैसे आरोप लगाए गए थे।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई।
- एक समय ऐसा था जब अदाणी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन $150 बिलियन (करीब ₹12.5 लाख करोड़) तक गिर गया।
- इस मामले ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स और इंडियन स्टॉक मार्केट, दोनों को हिला कर रख दिया।
रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को मामले की जांच के निर्देश दिए। कोर्ट की निगरानी में यह जांच शुरू हुई और अब उसका एक हिस्सा पूरा हो गया है।
SEBI की जांच में क्या पाया गया?
SEBI की जांच का फोकस शुरू में यह था कि क्या अदाणी ग्रुप ने तीन प्राइवेट कंपनियों के जरिए फंड्स को इधर-उधर घुमाकर अपनी पब्लिक लिस्टेड कंपनियों में डाला।
- जांच के बाद SEBI ने कहा कि इस तरह का कोई सबूत नहीं मिला।
- Kamlesh C. Varshney, जो SEBI के बोर्ड मेंबर हैं, उन्होंने ऑर्डर में लिखा कि इन तीन कंपनियों के लेन-देन अदाणी ग्रुप की related party transactions कैटेगरी में नहीं आते।
- इसका सीधा मतलब ये है कि इस मामले में अदाणी ग्रुप ने नियमों का उल्लंघन नहीं किया है।
हालांकि, SEBI की यह जांच सिर्फ एक हिस्से तक सीमित थी। Hindenburg की रिपोर्ट में कई और गंभीर आरोप भी लगाए गए थे, जिनकी जांच अभी जारी है।
गौतम अदाणी की प्रतिक्रिया
SEBI के फैसले के बाद गौतम अदाणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक फोटो के साथ लिखा:
“SEBI ने यह साबित कर दिया है कि Hindenburg के आरोप पूरी तरह से झूठे और निराधार थे। ट्रांसपेरेंसी और इंटीग्रिटी हमेशा अदाणी ग्रुप की पहचान रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने झूठी कहानियां फैलाईं, उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
साथ ही उन्होंने उन निवेशकों के लिए दुख जताया जिन्होंने Hindenburg की रिपोर्ट की वजह से पैसा गंवाया।
“हम भारत के लोगों, संस्थाओं और नेशन बिल्डिंग के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं।”
अमेरिका में चल रही जांच
यह मामला सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। अदाणी ग्रुप अमेरिका में भी एक बड़े केस का सामना कर रहा है।
- अमेरिकी फेडरल प्रॉसिक्यूटर्स अदाणी ग्रुप पर $250 मिलियन (करीब ₹2,100 करोड़) की bribery scheme की जांच कर रहे हैं।
- नवंबर 2024 में इस मामले में अदाणी ग्रुप पर आधिकारिक रूप से आरोप तय किए गए थे।
- यह जांच अभी भी जारी है और इसका असर अदाणी ग्रुप की global reputation पर पड़ सकता है।
क्या मतलब है इस क्लीन चिट का?
- SEBI की क्लीन चिट का मतलब है कि related party transactions वाले मामले में अदाणी ग्रुप को राहत मिली है।
- इससे अदाणी ग्रुप के शेयरों में सकारात्मक असर पड़ सकता है और मार्केट में उनका भरोसा कुछ हद तक वापस लौट सकता है।
- लेकिन चूंकि Hindenburg की रिपोर्ट में और भी कई गंभीर आरोप हैं, इसलिए अदाणी ग्रुप को अभी पूरी तरह राहत नहीं मिली है।
निष्कर्ष
- Hindenburg की रिपोर्ट से शुरू हुआ यह विवाद अदाणी ग्रुप के लिए सबसे बड़ा कॉरपोरेट संकट था।
- SEBI की ताजा रिपोर्ट से उन्हें बड़ी राहत मिली है, लेकिन अभी भी जांच के कई हिस्से बाकी हैं।
- अमेरिका में चल रही bribery scheme की जांच भी ग्रुप के लिए चुनौती बनी हुई है।
अभी के लिए, यह अदाणी ग्रुप और उसके निवेशकों के लिए एक पॉजिटिव डेवलपमेंट है, लेकिन पूरी तस्वीर साफ होने में अभी समय लगेगा।
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Gold ₹485 सस्ता होकर ₹93,859 पहुंचा: चांदी भी ₹420 गिरी, कैरेट के अनुसार जानें गोल्ड के दाम।

14 मई को सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, 24 कैरेट सोना 10 ग्राम पर ₹485 सस्ता होकर ₹93,859 पर पहुंच गया, जबकि पहले इसकी कीमत ₹94,344 थी।
वहीं, चांदी की कीमत में भी ₹420 की कमी आई है, जिससे एक किलो चांदी अब ₹96,400 में मिल रही है। इससे पहले इसका भाव ₹96,820 प्रति किलो था। गौरतलब है कि सोना 21 अप्रैल को ₹99,100 और चांदी 28 मार्च को ₹1,00,934 प्रति किलो के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच चुकी थी।
4 महानगरों और भोपाल में सोने की कीमत
दिल्ली: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,200 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 96,210 रुपए है।
मुंबई: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,050 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 96,060 रुपए है।
कोलकाता: 10 ग्राम 22 कैरेट गोल्ड की कीमत 88,050 रुपए और 24 कैरेट 10 ग्राम सोने की कीमत 96,060 रुपए है।
चेन्नई: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,050 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 96,060 रुपए है।
भोपाल: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,100 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 96,110 रुपए है।
इस साल अब तक 17,697 रुपए महंगा हो चुका है सोना
इस साल यानी 1 जनवरी से अब तक 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम 76,162 रुपए से 17,697 रुपए बढ़कर 93,859 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं, चांदी का भाव भी 86,017 रुपए प्रति किलो से 10,383 रुपए बढ़कर 96,400 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं पिछले साल यानी 2024 में सोना 12,810 रुपए महंगा हुआ था।

सोना खरीदते समय इन 3 बातों का रखें ध्यान
- सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें
हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें। सोने पर 6 अंकों का हॉलमार्क कोड रहता है। इसे हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी HUID कहते हैं। ये नंबर अल्फान्यूमेरिक यानी कुछ इस तरह होता है- AZ4524। हॉलमार्किंग के जरिए ये पता करना संभव है कि कोई सोना कितने कैरेट का है।
- कीमत क्रॉस चेक करें
सोने का सही वजन और खरीदने के दिन उसकी कीमत कई सोर्सेज (जैसे इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन की वेबसाइट) से क्रॉस चेक करें। सोने का भाव 24 कैरेट, 22 कैरेट और 18 कैरेट के हिसाब से अलग-अलग होता है। 24 कैरेट सोने को सबसे शुद्ध सोना माना गया है, लेकिन इसकी ज्वेलरी नहीं बनती, क्योंकि वो बेहद मुलायम होता है।
- कैश पेमेंट न करें, बिल लें
सोना खरीदते वक्त कैश पेमेंट की जगह UPI (जैसे भीम ऐप) और डिजिटल बैंकिंग के जरिए पेमेंट करना अच्छा रहता है। आप चाहें तो डेबिट या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी पेमेंट कर सकते हैं। इसके बाद बिल लेना न भूलें। यदि ऑनलाइन ऑर्डर किया है तो पैकेजिंग जरूर चेक करें।
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BOB रिपोर्ट: अप्रैल में खुदरा महंगाई 3% से नीचे, सब्जियां 34% सस्ती, दालें 15% सस्ती, खाद्य तेल 30% तक महंगे।

ऊंची ब्याज दरों से राहत के बाद महंगाई से भी राहत मिलने लगी है। बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB ) की एक रिसर्च रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अप्रैल की रिटेल महंगाई दर 3% से नीचे रह सकती है।
ऑफिशियल डेटा अगले हफ्ते मंगलवार (13 मई) को जारी होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के हफ्तों में खाने की चीजों, विशेष रूप से सब्जियों के दाम 34% तक और दालों के भाव 15% तक घटे हैं।
हालांकि खाने के तेल के दाम 30% तक बढ़े हैं। इसका असर शायद ही महंगाई पर दिखेगा क्योंकि सबसे ज्यादा सन फ्लावर ऑयल महंगा हुआ है, जिसका महंगाई इंडेक्स में वेटेज 1% से भी कम है।
लोन और सस्ते होने की उम्मीद बढ़ी, जून में फैसला
रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई घटने से रिजर्व बैंक के लिए नीतिगत दरें और घटाने की गुंजाइश बनेगी। जून की बैठक में रेपो रेट में पहले (0.25%) से ज्यादा कटौती हो सकती है। टमाटर, प्याज, आलू उत्पादक राज्यों में गर्मी कम होने से उत्पादन बढ़ेगा, भाव और घट सकते हैं।
अप्रैल में शाकाहारी थाली 4% सस्ती हुई: क्रिसिल
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ‘रोटी राइस रिपोर्ट’ के मुताबिक अप्रैल में सामान्य शाकाहारी थाली की लागत 4% घटकर 26.3 रुपए रह गई। मासिक आधार पर थाली की लागत 1% घटी है। रिपोर्ट के मुताबिक, सब्जियों की कीमतें घटने के चलते थाली सस्ती हुई है।
मार्च में महंगाई 6 साल के निचले स्तर पर रही थी
मार्च में रिटेल महंगाई घटकर 3.34% रही। इससे पहले अगस्त 2019 में महंगाई 3.28% पर थी। यह 5 साल 7 महीने के निचले स्तर पर आ गई है। मार्च से एक महीने पहले यानी, फरवरी में महंगाई 3.61% पर थी।
महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। इसकी महंगाई महीने-दर-महीने आधार पर 3.75% से घटकर 2.67% हो गई है। वहीं ग्रामीण महंगाई 3.79% से घटकर 3.25% और शहरी महंगाई 3.32% से बढ़कर 3.43% हो गई है।
महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।
इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।
CPI से तय होती है महंगाई
आप और हम जब रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं, तो उसकी कीमतों में होने वाले बदलावों को मापने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) करता है। CPI एक सांख्यिकीय सूचकांक है, जो उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की औसत कीमतों में समय के साथ होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है।
CPI में लगभग 300 वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया जाता है, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई दर तय होती है। इनमें खाद्य पदार्थ, ईंधन, आवास, वस्त्र, परिवहन, चिकित्सा देखभाल, मनोरंजन, शिक्षा और संचार जैसी श्रेणियाँ शामिल हैं। हर श्रेणी का CPI में अलग-अलग वजन होता है, जो उपभोक्ताओं के खर्च की आदतों के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
CPI की गणना भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा की जाती है। यह सूचकांक नीति निर्धारण, केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति, वेतन निर्धारण, पेंशन समायोजन और अन्य आर्थिक निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उदाहरण के लिए, अक्टूबर 2024 में भारत की खुदरा महंगाई दर 6.2% थी, जो मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के कारण थी। इसमें सब्जियों की कीमतों में 63% की वृद्धि देखी गई, जबकि ईंधन और ऊर्जा की कीमतों में 5.8% की गिरावट आई। इस प्रकार, CPI उपभोक्ताओं के लिए जीवन यापन की लागत में होने वाले परिवर्तनों को समझने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
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