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“अगर रतन टाटा जिंदा होते तो…” – Ahmedabad Plane Crash के 2 महीने बाद भी Compensation न मिलने पर पीड़ित परिवारों का दर्द

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12 जून 2025 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ एअर इंडिया फ्लाइट AI-171 का भीषण हादसा आज भी लोगों की आंखों में ताज़ा है। इस हादसे में 12 क्रू मेंबर समेत 241 यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि ज़मीन पर भी कई लोग इसकी चपेट में आ गए। कुल मिलाकर मृतकों का आंकड़ा 260 तक पहुंच गया। हादसे के वक्त विमान ने अहमदाबाद से लंदन गेटविक के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन उड़ान के कुछ ही देर बाद दोनों इंजन बंद हो गए और प्लेन बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकराकर आग के गोले में बदल गया। पूरे शहर में चीख-पुकार मच गई। उस दिन का मंजर कोई नहीं भूल सकता।

एकमात्र ज़िंदा बचने वाला यात्री

इस भीषण हादसे में चमत्कारिक रूप से सिर्फ एक यात्री – ब्रिटेन के नागरिक विश्वाश कुमार रमेश – जिंदा बचे, जो खुद मलबे से निकल आए। बाकी सबने अपनी जान गंवा दी।

जांच में अब तक क्या सामने आया?

सरकार की ओर से जारी प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया कि इंजन “कट-ऑफ” पोजीशन में चले गए थे, लेकिन इसके पीछे का कारण—तकनीकी खराबी, मानव त्रुटि या डिजाइन दोष—अभी साफ नहीं है। जांच में भारत के साथ यूके की AAIB और अमेरिका की NTSB जैसी एजेंसियां भी शामिल हैं। हादसे के सही कारणों का खुलासा अभी बाकी है।

मुआवजे का वादा और हकीकत

हादसे के बाद एयर इंडिया ने मृतकों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का एलान किया था। इसके साथ ही 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा भी घोषित किया गया, ताकि परिवारों को तुरंत आर्थिक मदद मिल सके।

  • 26 जुलाई तक 147 परिवारों को 25 लाख रुपये की राशि मिल चुकी है।
  • 52 और परिवारों के दस्तावेज़ सत्यापन की प्रक्रिया में हैं।
  • 166 परिवारों को अब तक अंतरिम भुगतान हो चुका है, लेकिन वादा किए गए 1 करोड़ रुपये का मुआवजा अभी तक किसी को नहीं मिला।

टाटा समूह ने इस हादसे के पीड़ितों के लिए 500 करोड़ रुपये का ‘AI-171 मेमोरियल एंड वेलफेयर ट्रस्ट’ भी बनाया है, जिसका उद्देश्य केवल मुआवजा देना ही नहीं बल्कि परिवारों की लंबे समय तक मदद करना, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना और पुनर्वास कार्य करना है।

अगर रतन टाटा होते तो…”

करीब 65 पीड़ित परिवारों का केस लड़ रहे अमेरिकी वकील माइक एंड्रयूज का कहना है कि अगर टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा आज ज़िंदा होते तो मुआवजे में इतनी देरी नहीं होती। उन्होंने कहा—”रतन टाटा पीड़ितों को कभी इंतजार नहीं कराते थे, वो तुरंत मदद करते थे।”
एंड्रयूज ने एक पीड़ित मां का जिक्र करते हुए कहा—”एक बुजुर्ग मां अपने बेटे पर निर्भर थी, लेकिन इस हादसे में उसने अपना सहारा खो दिया। आज वो बिस्तर पर है और उसे कोई मुआवजा नहीं मिला। ऐसे में वो क्या करे?”

कानूनी लड़ाई और आगे की राह

माइक एंड्रयूज और उनकी टीम इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी विकल्प तलाश रही है, जिसमें विमान निर्माता बोइंग के खिलाफ अमेरिकी अदालत में केस करने की संभावना भी है। उन्होंने कहा कि हादसे से जुड़े सभी डेटा और सबूत सामने लाना ज़रूरी है, ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके।

हादसे को दो महीने से ज्यादा वक्त हो गया है, लेकिन कई परिवार अब भी न्याय और वादे के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं। मुआवजे की देरी और जांच की लंबी प्रक्रिया पीड़ितों के जख्मों को और गहरा कर रही है। सवाल साफ है—क्या ये इंतजार जल्द खत्म होगा, या फिर पीड़ितों को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी?

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संत Premanand का Message – “जिसे सजा मिलती है, उसने कभी न कभी अपराध किया होता है”

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राधानाम के प्रचार-प्रसार से प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के श्रीराधा केलिकुंज आश्रम में रविवार सुबह एक खास मुलाक़ात हुई। मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला और उत्तर प्रदेश पुलिस के एएसपी अनुज चौधरी यहां आशीर्वाद लेने पहुंचे। दोनों ने संत से एकांतिक वार्ता की और जीवन व कर्तव्य से जुड़े सवाल पूछे।

एएसपी अनुज चौधरी का सवाल

वार्ता के दौरान एएसपी अनुज चौधरी ने एक घटना का ज़िक्र करते हुए सवाल किया –
“एक युवक की मौत के बाद उसके पिता ने पड़ोसी पर हत्या का आरोप लगाया। न हमारे पास कोई सबूत था और न ही आरोप लगाने वाले के पास। लेकिन कानूनी प्रक्रिया के तहत मुझे आरोपी को जेल भेजना पड़ा। क्या यह मेरे लिए अपराध है?”

संत प्रेमानंद का जवाब

संत प्रेमानंद ने शांत भाव से जवाब दिया –

  • यह अपराध नहीं है।
  • जिसे सजा मिलती है, उसने जीवन में कभी न कभी अपराध किया जरूर होता है।
  • भगवान बिना अपराध के किसी को सजा नहीं देते, भले ही वह अपराध उसी घटना में न हुआ हो।
  • यह भगवान का विधान है कि अपराधी चाहे एक बार बच जाए, लेकिन वह कभी न्याय से नहीं बच सकता।
  • आपका कर्तव्य है कि आप निस्वार्थ भाव से अपनी ड्यूटी निभाएं, और आपने वही किया।

उप मुख्यमंत्री को मिला संदेश

उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला जब सुबह करीब साढ़े छह बजे आश्रम पहुंचे तो संत प्रेमानंद ने उन्हें भी आशीर्वाद और संदेश दिया –

  • भगवान का स्मरण हमेशा करते रहें।
  • आपको जो पद मिला है, उसका उपयोग राष्ट्र और समाज की सेवा में करें।
  • भय और प्रलोभन से दूर रहें, क्योंकि ये इंसान को उसके कर्तव्य से गिरा देते हैं।
  • जिसके साथ भगवान हैं, उसे किसी का डर नहीं होना चाहिए।
  • जब तक भगवान की इच्छा नहीं, कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
  • अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निभाते हुए आप लौकिक और पारलौकिक, दोनों तरह की उन्नति कर सकते हैं।

मुलाक़ात का महत्व

संत प्रेमानंद के इन संदेशों में कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी और भगवान में विश्वास की झलक साफ दिखी। उन्होंने साफ कहा कि अधिकारी और नेता, दोनों को ही अपने पद का इस्तेमाल केवल सेवा के लिए करना चाहिए, बिना किसी डर या लालच के।

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Karnataka में Voter Fraud का मामला गरमाया – Deputy CM D.K. Shivakumar ने Election Commission में दी औपचारिक शिकायत

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कर्नाटक में कथित वोटर फ्रॉड को लेकर सियासत तेज हो गई है। शुक्रवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में बेंगलुरु में हुए विरोध प्रदर्शन के कुछ घंटे बाद ही राज्य के डिप्टी सीएम और कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) को औपचारिक शिकायत सौंप दी। इस शिकायत में उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान हुई कथित चुनावी गड़बड़ियों में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

चुनाव आयोग ने मांगे सबूत

शिवकुमार की शिकायत मिलने के बाद CEO ने उनसे कहा कि Registration of Electors Rules, 1960 के तहत जरूरी दस्तावेज़ी सबूत और डिक्लेरेशन जमा करें, तभी आगे कार्रवाई संभव है। आयोग ने साफ किया कि शिवकुमार ने 5 अगस्त 2024 को दी गई अपनी रिप्रेज़ेंटेशन का हवाला दिया है, लेकिन उसके साथ कोई डॉक्यूमेंटरी प्रूफ नहीं जोड़ा गया।

शिवकुमार के आरोप – “वोट चोरी पूरे कर्नाटक में”

शिवकुमार ने कहा कि वोट चोरी सिर्फ महादेवपुरा में नहीं बल्कि पूरे राज्य में हुई है। उन्होंने महादेवपुरा और गांधीनगर लोकसभा सीटों का उदाहरण देते हुए बताया कि—

  • एक ही व्यक्ति का नाम 5 से ज्यादा जगह दर्ज किया गया।
  • बिना घर नंबर के वोट रजिस्ट्रेशन हुए।
  • खाली प्लॉट को पते के रूप में इस्तेमाल किया गया।
  • वोट को एक बूथ से दूसरे बूथ में शिफ्ट किया गया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस इन मामलों के सबूत जल्द पेश करेगी और चुनाव आयोग से दोषी अधिकारियों को सख्त सज़ा देने की मांग की है, चाहे वो ब्लॉक लेवल ऑफिसर हो या रिटर्निंग ऑफिसर।

राहुल गांधी और खड़गे के शपथपत्र पर विवाद

EC ने राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से उनके “वोट चोरी” वाले बयानों पर शपथपत्र मांगा है। इस पर शिवकुमार का कहना है—

“चुनाव लड़ते समय हम पहले ही शपथपत्र दे चुके हैं। दोबारा की ज़रूरत नहीं। अगर हम झूठ बोल रहे हैं तो मुझे फांसी दे दें। EC ने हमारे आरोप खारिज नहीं किए और न ही यह कहा कि हम झूठ बोल रहे हैं।”

6 महीने की जांच, AI टूल्स का इस्तेमाल

शिवकुमार ने बताया कि 20 लोगों की टीम ने 6 महीने तक महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में जांच की।
इस दौरान EC की मतदाता सूची में मौजूद फोटो को AI टूल्स की मदद से मिलाया गया, जिससे डुप्लीकेट, फर्जी और “घोस्ट” वोटर पकड़े गए।

शिकायत में रखी गई प्रमुख मांगें

  1. पूरे कर्नाटक की सभी लोकसभा सीटों की मतदाता सूचियों की जांच।
  2. डिजिटल और मशीन-रीडेबल फोटो इलेक्टोरल रोल पब्लिक के लिए उपलब्ध कराना।
  3. जांच रिपोर्ट को पब्लिश करना, खासकर उन मतदाताओं की लिस्ट जो जोड़े गए, हटाए गए या बदले गए।
  4. यह देखना कि संदिग्ध वोटरों ने चुनाव नतीजों पर कितना असर डाला।
  5. फर्जी Form-6, Form-7, Form-8 पर साइन करने वाले अधिकारियों की पहचान, निलंबन और सज़ा।

शिवकुमार का कहना है कि कांग्रेस इस लड़ाई को अंजाम तक ले जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि चुनाव आयोग आगे क्या कदम उठाता है।

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अच्छे आचरण पर 108 कैदी रिहा होंगे, पंजाब सरकार ने लिया फैसला

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पंजाब सरकार ने पिछले एक साल की अवधि के दौरान उम्रकैद की सजा भुगत रहे अच्छे आचरण के धारक 108 कैदियों के प्रति हमदर्दी जताते हुए उन्हें अग्रिम रिहा करने की पहल की है। यह कदम अच्छे आचरण वाले कैदियों को पुनर्वास का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

पंजाब के जेल मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने न्याय और पुनर्वास के प्रति अपनी वचनबद्धता को दर्शाते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला किया है और पंजाब की विभिन्न जेलों में अपनी उम्रकैद की सजा भुगत रहे अच्छे आचरण वाले 108 कैदियों को पिछले एक साल की अवधि के दौरान रिहा किया गया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन व्यक्तियों को दूसरा मौका प्रदान करने के राज्य सरकार के प्रयासों को दर्शाता है, जिन्होंने अच्छा व्यवहार दिखाया है और जल्द रिहाई के लिए आवश्यक मानदंड पूरे किए हैं।

कैबिनेट मंत्री ने बताया कि इस कदम से संबंधितों को पुनर्वास और समाज में दोबारा एकीकरण के लिए एक मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह पहल पंजाब सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्याय प्रणाली न सिर्फ सजा देती है, बल्कि व्यक्तियों को समाज में दोबारा स्थापित करती है और एकीकृत भी करती है।

लालजीत सिंह भुल्लर ने बताया कि सुधार की इच्छा दिखाने वाले कैदियों को रिहा करके, सरकार का उद्देश्य न्याय के प्रति अधिक मानवीय और प्रभावशाली दृष्टिकोण को उत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि, “इन कैदियों की रिहाई हमारी सरकार की पुनर्वास और व्यक्तियों को समाज में दोबारा जोड़ने के मौके प्रदान करने के प्रति वचनबद्धता का प्रमाण है।” उन्होंने कहा कि, “हम दूसरे मौकों में विश्वास रखते हैं और एक अधिक हमदर्द और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए समर्पित हैं।”

कैबिनेट मंत्री ने आगे बताया कि कैदियों को उनके परिवारों और वकीलों के साथ बातचीत करने की सुविधा के लिए जेलों में लगभग 800 कॉलिंग सिस्टम स्थापित किए गए हैं ताकि उन्हें गैर कानूनी मोबाइल फोनों का उपयोग करने की कोशिश से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि गरीब कैदियों को अपने परिवारों और वकीलों से फोन पर बातचीत करने के लिए 15 दिन में कुल 10 मिनट की कॉल्स मुफ्त करवाई जा रही हैं।

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