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India-Maldives Relations में नया मोड़: PM Modi की यात्रा में 8 Key Agreements, 4,850 Crore की मदद और Developmentका नया Roadmap

माले में 25 जुलाई 2025 को एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जो कुछ महीने पहले तक किसी ने सोचा भी नहीं था। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जो कभी “इंडिया आउट” अभियान का चेहरा थे, वहीं खड़े थे, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने मालदीव के साथ रिश्तों को नई दिशा देने वाले 8 बड़े समझौते पर दस्तखत किए।
ये समझौते सिर्फ कागज पर नहीं हैं – ये दोनों देशों के बीच भरोसे और साझेदारी की नई कहानी लिख रहे हैं।
क्या-क्या समझौते हुए?
4,850 करोड़ रुपये (565 मिलियन डॉलर) की नई लाइन ऑफ क्रेडिट
– भारत के EXIM बैंक की ओर से दी जाने वाली ये राशि मालदीव में इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थकेयर, डिफेंस, एजुकेशन और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल होगी।
कर्ज़ से राहत
– भारत ने मालदीव का कर्ज चुकाने का दबाव कम कर दिया। अब मालदीव को हर साल 51 मिलियन डॉलर की जगह सिर्फ 29 मिलियन डॉलर चुकाने होंगे – यानी करीब 40% कम बोझ।
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की शुरुआत
– दोनों देशों ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत शुरू करने का फैसला किया, जिससे कारोबार और निवेश आसान होगा।
डिजिटल पार्टनरशिप और UPI लॉन्च
– भारत के UPI को मालदीव में रोल आउट किया जाएगा। इससे पर्यटक और स्थानीय लोग cross-border payment आसानी से कर पाएंगे।
– ई-गवर्नेंस और डिजिटल सॉल्यूशंस पर भी सहमति बनी, ताकि मालदीव भारत के सफल डिजिटल मॉडल से सीख सके।
फिशरीज और एक्वाकल्चर में सहयोग
– मछलीपालन मालदीव की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। अब भारत और मालदीव मिलकर इस सेक्टर को आगे बढ़ाएंगे।
हेल्थकेयर और दवाओं पर समझौता
– भारतीय फ़ार्माकोपिया कमीशन और मालदीव फ़ूड एंड ड्रग अथॉरिटी ने दवाओं की क्वालिटी और मानक तय करने के लिए MoU साइन किया।
मौसम और क्लाइमेट साइंस पर काम
– इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी और मालदीव मेट्रोलॉजिकल सर्विस एक साथ मौसम पूर्वानुमान, क्लाइमेट रिसर्च और एनवायरनमेंटल स्टडीज पर काम करेंगे।
डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए सहयोग
– भारत अपनी बड़ी डिजिटल पहलों जैसे आधार, डिजिलॉकर, और UPI से सीखी चीजें मालदीव को साझा करेगा।
मोदी की यात्रा में क्या-क्या हुआ?
- पीएम मोदी ने वर्चुअली हनिमाधू एयरपोर्ट विस्तार और अद्दू सिटी रोड व ड्रेनेज प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया।
- भारत ने मालदीव को 3,300 हाउसिंग यूनिट्स और डिफेंस व इमिग्रेशन विभाग के लिए 72 गाड़ियां दीं।
- दो आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब (BHISHM units) गिफ्ट की गईं – ये मोबाइल हॉस्पिटल जैसी किट हैं, जो 72 घंटे में 200 लोगों का इलाज कर सकती हैं।
- मोदी और मुइज्जू ने साथ में आम का पौधा लगाया, जो भारत की “एक पेड़ मां के नाम” और मालदीव की “5 मिलियन ट्री प्लांटेशन” मुहिम का हिस्सा है।
- दोनों नेताओं ने मालदीव के नए 11-मंजिला डिफेंस मंत्रालय भवन का उद्घाटन किया – जो भारत की मदद से बना है।
क्यों अहम है ये यात्रा?
याद करें, जब मुइज्जू 2023 में सत्ता में आए थे, तो उन्होंने सबसे पहले नारा दिया था – “इंडिया आउट”। उन्होंने कहा था कि भारतीय सैनिक मालदीव छोड़कर जाएं।
- 2024 तक भारत ने सारे सैनिक हटा लिए।
- लेकिन जैसे-जैसे मालदीव की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा और कर्ज की समस्या गहराई, मुइज्जू ने धीरे-धीरे रुख बदला।
अब वही राष्ट्रपति, जो भारत से दूरी बना रहे थे, मोदी को “मालदीव का सबसे भरोसेमंद दोस्त” कह रहे हैं।
क्या मायने हैं इन समझौतों के?
मालदीव को तुरंत राहत – कर्ज कम हुआ, नई मदद मिली।
भारत को फायदा – हिंद महासागर में उसकी रणनीतिक मौजूदगी और मज़बूत होगी।
डिजिटल और हेल्थ सेक्टर में साझेदारी – मालदीव के लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
ये भी एक मैसेज है चीन को, जिसने हाल के सालों में मालदीव में निवेश बढ़ाया था, कि भारत फिर से मालदीव का सबसे करीबी पार्टनर है।
25 जुलाई 2025 का ये दिन भारत-मालदीव रिश्तों के इतिहास में मील का पत्थर बन गया।
कोई नारे नहीं, कोई भाषण नहीं – सिर्फ दस्तखत।
दस्तखत जो विकास, भरोसे और नए रिश्ते की गवाही दे रहे हैं।
कभी ‘इंडिया आउट’ की आवाज़ लगाने वाले राष्ट्रपति मुइज्जू, आज वही भारत के साथ खड़े हैं – और दोनों देशों की कहानी का नया अध्याय लिख रहे हैं।
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संत Premanand का Message – “जिसे सजा मिलती है, उसने कभी न कभी अपराध किया होता है”

राधानाम के प्रचार-प्रसार से प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के श्रीराधा केलिकुंज आश्रम में रविवार सुबह एक खास मुलाक़ात हुई। मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला और उत्तर प्रदेश पुलिस के एएसपी अनुज चौधरी यहां आशीर्वाद लेने पहुंचे। दोनों ने संत से एकांतिक वार्ता की और जीवन व कर्तव्य से जुड़े सवाल पूछे।
एएसपी अनुज चौधरी का सवाल
वार्ता के दौरान एएसपी अनुज चौधरी ने एक घटना का ज़िक्र करते हुए सवाल किया –
“एक युवक की मौत के बाद उसके पिता ने पड़ोसी पर हत्या का आरोप लगाया। न हमारे पास कोई सबूत था और न ही आरोप लगाने वाले के पास। लेकिन कानूनी प्रक्रिया के तहत मुझे आरोपी को जेल भेजना पड़ा। क्या यह मेरे लिए अपराध है?”
संत प्रेमानंद का जवाब
संत प्रेमानंद ने शांत भाव से जवाब दिया –
- यह अपराध नहीं है।
- जिसे सजा मिलती है, उसने जीवन में कभी न कभी अपराध किया जरूर होता है।
- भगवान बिना अपराध के किसी को सजा नहीं देते, भले ही वह अपराध उसी घटना में न हुआ हो।
- यह भगवान का विधान है कि अपराधी चाहे एक बार बच जाए, लेकिन वह कभी न्याय से नहीं बच सकता।
- आपका कर्तव्य है कि आप निस्वार्थ भाव से अपनी ड्यूटी निभाएं, और आपने वही किया।
उप मुख्यमंत्री को मिला संदेश
उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला जब सुबह करीब साढ़े छह बजे आश्रम पहुंचे तो संत प्रेमानंद ने उन्हें भी आशीर्वाद और संदेश दिया –
- भगवान का स्मरण हमेशा करते रहें।
- आपको जो पद मिला है, उसका उपयोग राष्ट्र और समाज की सेवा में करें।
- भय और प्रलोभन से दूर रहें, क्योंकि ये इंसान को उसके कर्तव्य से गिरा देते हैं।
- जिसके साथ भगवान हैं, उसे किसी का डर नहीं होना चाहिए।
- जब तक भगवान की इच्छा नहीं, कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
- अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निभाते हुए आप लौकिक और पारलौकिक, दोनों तरह की उन्नति कर सकते हैं।
मुलाक़ात का महत्व
संत प्रेमानंद के इन संदेशों में कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी और भगवान में विश्वास की झलक साफ दिखी। उन्होंने साफ कहा कि अधिकारी और नेता, दोनों को ही अपने पद का इस्तेमाल केवल सेवा के लिए करना चाहिए, बिना किसी डर या लालच के।
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“अगर रतन टाटा जिंदा होते तो…” – Ahmedabad Plane Crash के 2 महीने बाद भी Compensation न मिलने पर पीड़ित परिवारों का दर्द

12 जून 2025 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ एअर इंडिया फ्लाइट AI-171 का भीषण हादसा आज भी लोगों की आंखों में ताज़ा है। इस हादसे में 12 क्रू मेंबर समेत 241 यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि ज़मीन पर भी कई लोग इसकी चपेट में आ गए। कुल मिलाकर मृतकों का आंकड़ा 260 तक पहुंच गया। हादसे के वक्त विमान ने अहमदाबाद से लंदन गेटविक के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन उड़ान के कुछ ही देर बाद दोनों इंजन बंद हो गए और प्लेन बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकराकर आग के गोले में बदल गया। पूरे शहर में चीख-पुकार मच गई। उस दिन का मंजर कोई नहीं भूल सकता।
एकमात्र ज़िंदा बचने वाला यात्री
इस भीषण हादसे में चमत्कारिक रूप से सिर्फ एक यात्री – ब्रिटेन के नागरिक विश्वाश कुमार रमेश – जिंदा बचे, जो खुद मलबे से निकल आए। बाकी सबने अपनी जान गंवा दी।
जांच में अब तक क्या सामने आया?
सरकार की ओर से जारी प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया कि इंजन “कट-ऑफ” पोजीशन में चले गए थे, लेकिन इसके पीछे का कारण—तकनीकी खराबी, मानव त्रुटि या डिजाइन दोष—अभी साफ नहीं है। जांच में भारत के साथ यूके की AAIB और अमेरिका की NTSB जैसी एजेंसियां भी शामिल हैं। हादसे के सही कारणों का खुलासा अभी बाकी है।
मुआवजे का वादा और हकीकत
हादसे के बाद एयर इंडिया ने मृतकों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का एलान किया था। इसके साथ ही 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा भी घोषित किया गया, ताकि परिवारों को तुरंत आर्थिक मदद मिल सके।
- 26 जुलाई तक 147 परिवारों को 25 लाख रुपये की राशि मिल चुकी है।
- 52 और परिवारों के दस्तावेज़ सत्यापन की प्रक्रिया में हैं।
- 166 परिवारों को अब तक अंतरिम भुगतान हो चुका है, लेकिन वादा किए गए 1 करोड़ रुपये का मुआवजा अभी तक किसी को नहीं मिला।
टाटा समूह ने इस हादसे के पीड़ितों के लिए 500 करोड़ रुपये का ‘AI-171 मेमोरियल एंड वेलफेयर ट्रस्ट’ भी बनाया है, जिसका उद्देश्य केवल मुआवजा देना ही नहीं बल्कि परिवारों की लंबे समय तक मदद करना, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना और पुनर्वास कार्य करना है।
“अगर रतन टाटा होते तो…”
करीब 65 पीड़ित परिवारों का केस लड़ रहे अमेरिकी वकील माइक एंड्रयूज का कहना है कि अगर टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा आज ज़िंदा होते तो मुआवजे में इतनी देरी नहीं होती। उन्होंने कहा—”रतन टाटा पीड़ितों को कभी इंतजार नहीं कराते थे, वो तुरंत मदद करते थे।”
एंड्रयूज ने एक पीड़ित मां का जिक्र करते हुए कहा—”एक बुजुर्ग मां अपने बेटे पर निर्भर थी, लेकिन इस हादसे में उसने अपना सहारा खो दिया। आज वो बिस्तर पर है और उसे कोई मुआवजा नहीं मिला। ऐसे में वो क्या करे?”
कानूनी लड़ाई और आगे की राह
माइक एंड्रयूज और उनकी टीम इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी विकल्प तलाश रही है, जिसमें विमान निर्माता बोइंग के खिलाफ अमेरिकी अदालत में केस करने की संभावना भी है। उन्होंने कहा कि हादसे से जुड़े सभी डेटा और सबूत सामने लाना ज़रूरी है, ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके।
हादसे को दो महीने से ज्यादा वक्त हो गया है, लेकिन कई परिवार अब भी न्याय और वादे के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं। मुआवजे की देरी और जांच की लंबी प्रक्रिया पीड़ितों के जख्मों को और गहरा कर रही है। सवाल साफ है—क्या ये इंतजार जल्द खत्म होगा, या फिर पीड़ितों को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी?
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Karnataka में Voter Fraud का मामला गरमाया – Deputy CM D.K. Shivakumar ने Election Commission में दी औपचारिक शिकायत

कर्नाटक में कथित वोटर फ्रॉड को लेकर सियासत तेज हो गई है। शुक्रवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में बेंगलुरु में हुए विरोध प्रदर्शन के कुछ घंटे बाद ही राज्य के डिप्टी सीएम और कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) को औपचारिक शिकायत सौंप दी। इस शिकायत में उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान हुई कथित चुनावी गड़बड़ियों में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
चुनाव आयोग ने मांगे सबूत
शिवकुमार की शिकायत मिलने के बाद CEO ने उनसे कहा कि Registration of Electors Rules, 1960 के तहत जरूरी दस्तावेज़ी सबूत और डिक्लेरेशन जमा करें, तभी आगे कार्रवाई संभव है। आयोग ने साफ किया कि शिवकुमार ने 5 अगस्त 2024 को दी गई अपनी रिप्रेज़ेंटेशन का हवाला दिया है, लेकिन उसके साथ कोई डॉक्यूमेंटरी प्रूफ नहीं जोड़ा गया।
शिवकुमार के आरोप – “वोट चोरी पूरे कर्नाटक में”
शिवकुमार ने कहा कि वोट चोरी सिर्फ महादेवपुरा में नहीं बल्कि पूरे राज्य में हुई है। उन्होंने महादेवपुरा और गांधीनगर लोकसभा सीटों का उदाहरण देते हुए बताया कि—
- एक ही व्यक्ति का नाम 5 से ज्यादा जगह दर्ज किया गया।
- बिना घर नंबर के वोट रजिस्ट्रेशन हुए।
- खाली प्लॉट को पते के रूप में इस्तेमाल किया गया।
- वोट को एक बूथ से दूसरे बूथ में शिफ्ट किया गया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस इन मामलों के सबूत जल्द पेश करेगी और चुनाव आयोग से दोषी अधिकारियों को सख्त सज़ा देने की मांग की है, चाहे वो ब्लॉक लेवल ऑफिसर हो या रिटर्निंग ऑफिसर।
राहुल गांधी और खड़गे के शपथपत्र पर विवाद
EC ने राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से उनके “वोट चोरी” वाले बयानों पर शपथपत्र मांगा है। इस पर शिवकुमार का कहना है—
“चुनाव लड़ते समय हम पहले ही शपथपत्र दे चुके हैं। दोबारा की ज़रूरत नहीं। अगर हम झूठ बोल रहे हैं तो मुझे फांसी दे दें। EC ने हमारे आरोप खारिज नहीं किए और न ही यह कहा कि हम झूठ बोल रहे हैं।”
6 महीने की जांच, AI टूल्स का इस्तेमाल
शिवकुमार ने बताया कि 20 लोगों की टीम ने 6 महीने तक महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में जांच की।
इस दौरान EC की मतदाता सूची में मौजूद फोटो को AI टूल्स की मदद से मिलाया गया, जिससे डुप्लीकेट, फर्जी और “घोस्ट” वोटर पकड़े गए।
शिकायत में रखी गई प्रमुख मांगें
- पूरे कर्नाटक की सभी लोकसभा सीटों की मतदाता सूचियों की जांच।
- डिजिटल और मशीन-रीडेबल फोटो इलेक्टोरल रोल पब्लिक के लिए उपलब्ध कराना।
- जांच रिपोर्ट को पब्लिश करना, खासकर उन मतदाताओं की लिस्ट जो जोड़े गए, हटाए गए या बदले गए।
- यह देखना कि संदिग्ध वोटरों ने चुनाव नतीजों पर कितना असर डाला।
- फर्जी Form-6, Form-7, Form-8 पर साइन करने वाले अधिकारियों की पहचान, निलंबन और सज़ा।
शिवकुमार का कहना है कि कांग्रेस इस लड़ाई को अंजाम तक ले जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि चुनाव आयोग आगे क्या कदम उठाता है।
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