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Politics

Member of Parliament कितना कमाते हैं और उन्हें क्या सुविधाएं मिलती हैं?

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लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम लगभग घोषित हो चुके हैं| लेकिन अब सवाल ये है कि देश के 542 संसदीय क्षेत्रों से जो Member of Parliament चुनकर लोकसभा जा रहे हैं, उन्हें क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं| आज हम आपको बताएंगे कि सांसदों को कितनी सैलरी, सुविधा और सुरक्षा मिलती है ?

सांसदों को सैलरी के साथ कई अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं. बता दें कि Member of Parliament के सदस्य (वेतन, भत्ता और पेंशन) ACT 1954 के तहत एक सांसद को सैलरी और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं. जानकारी के मुताबिक सांसद को महीने में 1 लाख रुपये वेतन के रूप में मिलता है.

इसके अलावा 1 अप्रैल 2023 से एक नया नियम लागू किया गया था, जिसके तहत सांसदों की सैलरी और दैनिक भत्ते में हर पांच साल के बाद बढ़ोतरी की जाएगी. वहीं एक सांसद को किसी सदन के सत्र में या किसी समिति की बैठक में उपस्थित होने या संसद सदस्य से जुड़े किसी भी काम से यात्रा करने पर अलग भत्ता दिया जाता है. वहीं सासंद जब सड़क मार्ग के जरिए यात्रा करते हैं, तो उन्हें 16 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से अलग भत्ता मिलता है|

घर के लिए भत्ता

इसके अलावा सांसद को हर महीने 70 हजार रुपये Constituency भत्ते के रूप में मिलते हैं. वहीं सांसद को दिल्ली स्थित अपने निवास या दिल्ली के कार्यालय में टेलिफोन लगवाने पर कोई चार्ज नहीं देना होता है. ये सारा बिल का खर्च सरकार उठाती है. वहीं उसे पचास हजार फ्री local call की सुविधा मिलती है. वहीं एक सांसद को office expense भत्ते के रूप में हर महीने 60 हजार रुपये मिलते हैं|

स्वास्थ्य सुविधाएं

बता दें कि एक सांसद को एक पास भी दिया जाता है, जिसकी मदद से वह किसी भी समय रेलवे से मुफ्त में यात्रा कर सकता है. ये पास किसी भी ट्रेन की First Class AC or Executive Class में मान्य होता है. वहीं सरकारी काम के सिलसिले में विदेश यात्रा करने पर भी सांसद को सरकारी भत्ता दिया जाता है|

इसके अलावा हर सांसद को medical facility भी मिलती है. Member of Parliament किसी भी सरकारी या रेफर कराने के बाद किसी प्राइवेट अस्पताल में अगर इलाज, ऑपरेशन कराता है, तो उस इलाज का पूरा खर्च सरकार वहन करती है. इसके अलावा सांसद को सरकारी खर्च पर सुरक्षाकर्मी और केयर-टेकर भी मिलते हैं|

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Punjab में बदलेगा मौसम, 5 October से तीन दिन तक बरसात के आसार Yellow Alert Issued

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पंजाब में मौसम एक बार फिर करवट लेने वाला है। मौसम विभाग के अनुसार, 5 अक्टूबर से वेस्टर्न डिस्टरबेंस (Western Disturbance) एक्टिव होगा। इसका असर सीधे पंजाब के मौसम पर देखने को मिलेगा। अगले तीन दिनों तक यानी 5 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक राज्य में कई जगहों पर बारिश हो सकती है। इसके लिए मौसम विभाग ने यलो अलर्ट (Yellow Alert) जारी किया है।

किन जिलों में ज्यादा असर होगा?

मौसम विभाग का कहना है कि पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, होशियारपुर, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का और मुक्तसर जिलों में बारिश के आसार ज्यादा हैं। इन इलाकों में भारी बारिश की भी संभावना जताई गई है।

दिन ठंडे हुए, लेकिन रातें अभी भी गर्म

पंजाब में बीते 24 घंटों में तापमान में बदलाव दर्ज किया गया है।

  • अधिकतम तापमान में करीब 1.5 डिग्री की गिरावट हुई है और यह सामान्य के करीब आ गया है।
  • न्यूनतम तापमान में भी 1 डिग्री की कमी दर्ज की गई है, लेकिन इसके बावजूद रातें अभी भी सामान्य से करीब 2.9 डिग्री ज्यादा गर्म बनी हुई हैं।

राज्य में सबसे ज्यादा गर्मी मानसा में दर्ज की गई, जहाँ अधिकतम तापमान 35.7 डिग्री रहा।

प्रमुख शहरों का तापमान (अधिकतम/न्यूनतम)

  • अमृतसर – 33°C / 25.1°C
  • लुधियाना – 33.6°C / 23.6°C
  • पटियाला – 34.2°C / 24.2°C
  • पठानकोट – 32.4°C / 20.1°C
  • बठिंडा – 34.5°C / 21.6°C
  • फरीदकोट – 34°C / 26°C
  • मानसा – 32.9°C / 23.9°C

शहरवार मौसम का हाल

  • अमृतसर – मौसम साफ रहेगा, बारिश की संभावना नहीं, तापमान 24–34 डिग्री के बीच।
  • जालंधर – मौसम साफ, बारिश के आसार नहीं, तापमान 24–34 डिग्री।
  • लुधियाना – हल्के बादल छाएंगे, बारिश हो सकती है, तापमान 24–35 डिग्री।
  • पटियाला – बादल छाए रहेंगे, हल्की बारिश की संभावना, तापमान 25–35 डिग्री।
  • मोहाली – बादल छाएंगे, बारिश हो सकती है, तापमान 24–35 डिग्री।

कुल मिलाकर, पंजाब में इस बार दिन का तापमान धीरे-धीरे नॉर्मल होता जा रहा है, लेकिन रातें अभी भी ज्यादा गर्म महसूस हो रही हैं। वहीं, 5 अक्टूबर से लेकर 7 अक्टूबर तक बारिश से मौसम में और बदलाव देखने को मिलेगा।

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बाढ़ राहत पर CM भगवंत मान Action में, शहरी क्षेत्रों में सफाई, स्वास्थ्य और पुनर्वास कार्यों को मिली रफ्तार!

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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने हाल ही में आई बाढ़ के बाद राज्य के विभिन्न शहरी क्षेत्रों में राहत, पुनर्वास और सफाई अभियानों की गहन समीक्षा की। उन्होंने इस संबंध में शहरी स्थानीय निकायों (यू.एल.बी.) के आयुक्तों के साथ एक वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से सामान्य स्थिति बहाल करने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने बताया कि रावी, ब्यास, सतलुज और घग्गर नदियों तथा उनकी सहायक धाराओं के किनारे बसे कई जिले इस बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगस्त के अंतिम सप्ताह और सितंबर की शुरुआत में हुई भारी बारिश के कारण राज्य के अनेक कस्बों में जलभराव और भारी कीचड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रभावित शहरी क्षेत्रों में जल्द से जल्द सफाई अभियान चलाकर मलबा, कीचड़ और रेत को हटाया जाए और पीने योग्य पानी की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने बरसाती बीमारियों जैसे डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर फॉगिंग अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने शहरी स्थानीय निकायों को मौजूदा अमले का समुचित उपयोग करने और विशेष रूप से राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए समर्पित टीमें गठित करने के निर्देश दिए, ताकि हर क्षेत्र में जिम्मेदारी तय की जा सके और काम की गति को तेज किया जा सके। उन्होंने स्पष्ट कहा कि स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी सावधानियों में कोई भी कोताही स्वीकार्य नहीं होगी।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राहत और पुनर्वास कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही को अत्यंत आवश्यक बताया। उन्होंने सभी शहरी निकायों को प्राथमिकता के आधार पर कार्यों की सूची तैयार करने, हर कार्य के लिए स्पष्ट समयसीमा निर्धारित करने और एक जिम्मेदार अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन कार्यों में जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जाए और स्थानीय युवा क्लबों, एन.जी.ओ. और सामाजिक संगठनों को जोड़कर सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सार्वजनिक धन का उपयोग बेहद पारदर्शी और विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि प्रत्येक शहरी क्षेत्र, विशेष रूप से बड़े कस्बों के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए, जो राहत और पुनर्वास कार्यों का समन्वय कर सके। इन नोडल अधिकारियों के नाम और संपर्क नंबर स्थानीय नागरिकों के साथ साझा किए जाएँ, ताकि नागरिक किसी भी समस्या या जानकारी के लिए सीधे संपर्क कर सकें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि राहत कार्यों की रिपोर्टिंग, निगरानी और सत्यापन में पेस्को (PESCO) के पूर्व सैनिकों को शामिल किया जाए, जो अपने अनुभव और अनुशासन के माध्यम से इस कार्य को और प्रभावी बना सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने अंत में यह स्पष्ट किया कि नगर निगमों से संबंधित सभी गतिविधियों की जिम्मेदारी संबंधित आयुक्तों पर होगी। इसी प्रकार, नगर परिषदों और नगर पंचायतों द्वारा किए जा रहे कार्यों की निगरानी अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (शहरी विकास/जनरल) करेंगे। उन्होंने दोहराया कि राहत कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही, अनदेखी या ढिलाई को कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस महत्वपूर्ण बैठक में कैबिनेट मंत्री डॉ. रवजोत, मुख्य सचिव के. ए. पी. सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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Art & Culture

Punjab का खाद्य क्षेत्र: AI और AgriTech से बदली तस्वीर, विश्व खाद्य मेला 2025 में केंद्र बना पंजाब

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विश्व खाद्य मेला 2025 में पंजाब सरकार ने अपनी एआई-पावर्ड कृषि और खाद्य प्रसंस्करण तकनीक से वैश्विक मंच पर अलग पहचान बनाई। पंजाब का नवाचार-आधारित पंडाल इस पूरे आयोजन का आकर्षण रहा, जहाँ राज्य ने अपनी कृषि सफलता और भविष्य की संभावनाओं का प्रभावशाली प्रदर्शन किया।

पंजाब, जो अब तक पारंपरिक कृषि मॉडल के लिए जाना जाता था, अब आधुनिक खेती और स्मार्ट एग्रीटेक के जरिए पूरे देश के लिए रोल मॉडल बन रहा है। इस बार के विश्व खाद्य मेले में पंजाब ने दिखाया कि कैसे एआई, डिजिटल डेटा और तकनीकी हस्तक्षेप किसानों को सीधी मदद देकर उनकी आय दुगुनी करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भूमिका निभा रहे है।

सरकार की “स्मार्ट कृषि योजना” ने किसानों को एआई और डेटा एनालिटिक्स का आसान उपयोग उपलब्ध कराया है। इससे उन्हें बाज़ार की मांग, फसलों के स्वास्थ्य और उत्पादन का सटीक अनुमान मिलता है। परिणामस्वरूप फसल की पैदावार गुणवत्ता के साथ बढ़ी है और उत्पादन लागत में उल्लेखनीय कमी आई है, जिसने पंजाब को पूरे देश का टेक्नोलॉजी-ड्रिवन कृषि राज्य बना दिया है।

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भी पंजाब तेज़ी से उभर रहा है। अत्याधुनिक उपकरण और स्वचालन तकनीक अपनाए जाने से उत्पादन चेन में सुधार हुआ है। खाद्य उद्योग में इस सफाई और स्थिरता ने न केवल किसानों की फसल का मूल्य बढ़ाया है, बल्कि प्रसंस्करण इकाइयों को भी तेज़ी से विस्तार करने का अवसर दिया है।

पंजाब सरकार के प्रयासों का सबसे बड़ा लाभ राज्य के किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को हुआ है। नई तकनीक ने कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और shelf life दोनों बढ़ा दी है, जिससे किसानों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों तक सीधी पहुंच मिली है। इससे राज्य का खाद्य निर्यात भी बढ़ा है और पंजाब भारत की फूड इकॉनमी में अग्रणी केंद्र के रूप में उभरा है।

विदेशी निवेशकों और तकनीकी कंपनियों के लिए पंजाब का यह विकास खासा आकर्षक सिद्ध हो रहा है। विश्व खाद्य मेला 2025 में पंजाब का पंडाल विदेशी विशेषज्ञों का प्रमुख फोकस रहा, जहाँ उन्होंने राज्य की निवेश संभावनाओं और नीति समर्थन की सराहना की। कई कंपनियां पंजाब में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ और टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप स्थापित करने की इच्छुक नजर आई।

सरकार ने युवाओं और स्टार्टअप उद्यमियों को भी कृषि क्षेत्र से जोड़ने पर ज़ोर दिया है। युवा उद्यमिता प्रोत्साहन योजनाओं ने नवाचार को बढ़ावा दिया है और कृषि आधारित स्टार्टअप्स को ऊर्जा दी है। इससे न केवल रोज़गार के नए अवसर बने है, बल्कि ग्रामीण प्रतिभाओं को भी वैश्विक बाज़ार तक पहुंचने का मंच मिला है।

खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के क्षेत्र में पंजाब के कदम ने राज्यों और देशों के लिए आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया है। कृषि सहायक संस्थाओं और सरकारी विभागों ने मिलकर आधुनिक हस्तक्षेप विकसित किए है, जिससे फसलों की पैदावार बढ़ने के साथ-साथ स्थिर और टिकाऊ कृषि मॉडल तैयार हुआ है। यह प्रयास केवल किसानों की आय ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य की अर्थव्यवस्था में नई जान डाल रहा है।

विश्व खाद्य मेला 2025 में “पंजाब पार्टनर स्टेट सैशन” विशेष ध्यान का केंद्र बना हुआ है। सरकार ने सभी हितधारकों को इसमें आमंत्रित किया है ताकि वे न केवल पंजाब की कृषि यात्रा को समझें, बल्कि भविष्य की इस प्रगति का हिस्सा बनकर राज्य के साथ साझेदारी भी करे। यह पहल पंजाब को कृषि नवाचार, खाद्य प्रसंस्करण और स्मार्ट खेती का वैश्विक लीडर बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है।

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