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BOB रिपोर्ट: अप्रैल में खुदरा महंगाई 3% से नीचे, सब्जियां 34% सस्ती, दालें 15% सस्ती, खाद्य तेल 30% तक महंगे।

ऊंची ब्याज दरों से राहत के बाद महंगाई से भी राहत मिलने लगी है। बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB ) की एक रिसर्च रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अप्रैल की रिटेल महंगाई दर 3% से नीचे रह सकती है।
ऑफिशियल डेटा अगले हफ्ते मंगलवार (13 मई) को जारी होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के हफ्तों में खाने की चीजों, विशेष रूप से सब्जियों के दाम 34% तक और दालों के भाव 15% तक घटे हैं।
हालांकि खाने के तेल के दाम 30% तक बढ़े हैं। इसका असर शायद ही महंगाई पर दिखेगा क्योंकि सबसे ज्यादा सन फ्लावर ऑयल महंगा हुआ है, जिसका महंगाई इंडेक्स में वेटेज 1% से भी कम है।
लोन और सस्ते होने की उम्मीद बढ़ी, जून में फैसला
रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई घटने से रिजर्व बैंक के लिए नीतिगत दरें और घटाने की गुंजाइश बनेगी। जून की बैठक में रेपो रेट में पहले (0.25%) से ज्यादा कटौती हो सकती है। टमाटर, प्याज, आलू उत्पादक राज्यों में गर्मी कम होने से उत्पादन बढ़ेगा, भाव और घट सकते हैं।
अप्रैल में शाकाहारी थाली 4% सस्ती हुई: क्रिसिल
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ‘रोटी राइस रिपोर्ट’ के मुताबिक अप्रैल में सामान्य शाकाहारी थाली की लागत 4% घटकर 26.3 रुपए रह गई। मासिक आधार पर थाली की लागत 1% घटी है। रिपोर्ट के मुताबिक, सब्जियों की कीमतें घटने के चलते थाली सस्ती हुई है।
मार्च में महंगाई 6 साल के निचले स्तर पर रही थी
मार्च में रिटेल महंगाई घटकर 3.34% रही। इससे पहले अगस्त 2019 में महंगाई 3.28% पर थी। यह 5 साल 7 महीने के निचले स्तर पर आ गई है। मार्च से एक महीने पहले यानी, फरवरी में महंगाई 3.61% पर थी।
महंगाई के बास्केट में लगभग 50% योगदान खाने-पीने की चीजों का होता है। इसकी महंगाई महीने-दर-महीने आधार पर 3.75% से घटकर 2.67% हो गई है। वहीं ग्रामीण महंगाई 3.79% से घटकर 3.25% और शहरी महंगाई 3.32% से बढ़कर 3.43% हो गई है।
महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।
इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।
CPI से तय होती है महंगाई
आप और हम जब रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं, तो उसकी कीमतों में होने वाले बदलावों को मापने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) करता है। CPI एक सांख्यिकीय सूचकांक है, जो उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की औसत कीमतों में समय के साथ होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है।
CPI में लगभग 300 वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया जाता है, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई दर तय होती है। इनमें खाद्य पदार्थ, ईंधन, आवास, वस्त्र, परिवहन, चिकित्सा देखभाल, मनोरंजन, शिक्षा और संचार जैसी श्रेणियाँ शामिल हैं। हर श्रेणी का CPI में अलग-अलग वजन होता है, जो उपभोक्ताओं के खर्च की आदतों के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
CPI की गणना भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा की जाती है। यह सूचकांक नीति निर्धारण, केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति, वेतन निर्धारण, पेंशन समायोजन और अन्य आर्थिक निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उदाहरण के लिए, अक्टूबर 2024 में भारत की खुदरा महंगाई दर 6.2% थी, जो मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के कारण थी। इसमें सब्जियों की कीमतों में 63% की वृद्धि देखी गई, जबकि ईंधन और ऊर्जा की कीमतों में 5.8% की गिरावट आई। इस प्रकार, CPI उपभोक्ताओं के लिए जीवन यापन की लागत में होने वाले परिवर्तनों को समझने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
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Adani-Hindenburg Case: SEBI ने Gautam Adani and Group को कुछ आरोपों में दी Clean Chit

अदाणी-हिंडनबर्ग विवाद में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। SEBI (Securities & Exchange Board of India) ने अदाणी ग्रुप और उसके चेयरमैन गौतम अदाणी को कुछ गंभीर आरोपों से क्लीन चिट दे दी है। ये वही आरोप हैं जो अमेरिकी फर्म Hindenburg Research ने जनवरी 2023 में लगाए थे।
SEBI की जांच के मुताबिक, ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि अदाणी ग्रुप ने related party transactions का इस्तेमाल कर अपने ही listed companies में गुपचुप तरीके से फंड्स डाले। यह मामला खासतौर पर तीन कंपनियों—Adicorp Enterprises Pvt. Ltd., Milestone Tradelinks Pvt. Ltd. और Rehvar Infrastructure Pvt. Ltd.—से जुड़ा था।
SEBI ने साफ कहा कि इन तीनों कंपनियों और अदाणी ग्रुप की कंपनियों के बीच जो लेन-देन हुए, वे related party transactions की परिभाषा में नहीं आते। इसका मतलब है कि अदाणी ग्रुप ने इस मामले में किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है।
क्या था मामला?
जनवरी 2023 में Hindenburg Research ने एक explosive रिपोर्ट जारी की थी। इसमें अदाणी ग्रुप पर बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट फ्रॉड, मनी लॉन्ड्रिंग और शेयर की कीमतों में हेरफेर जैसे आरोप लगाए गए थे।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई।
- एक समय ऐसा था जब अदाणी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन $150 बिलियन (करीब ₹12.5 लाख करोड़) तक गिर गया।
- इस मामले ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स और इंडियन स्टॉक मार्केट, दोनों को हिला कर रख दिया।
रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को मामले की जांच के निर्देश दिए। कोर्ट की निगरानी में यह जांच शुरू हुई और अब उसका एक हिस्सा पूरा हो गया है।
SEBI की जांच में क्या पाया गया?
SEBI की जांच का फोकस शुरू में यह था कि क्या अदाणी ग्रुप ने तीन प्राइवेट कंपनियों के जरिए फंड्स को इधर-उधर घुमाकर अपनी पब्लिक लिस्टेड कंपनियों में डाला।
- जांच के बाद SEBI ने कहा कि इस तरह का कोई सबूत नहीं मिला।
- Kamlesh C. Varshney, जो SEBI के बोर्ड मेंबर हैं, उन्होंने ऑर्डर में लिखा कि इन तीन कंपनियों के लेन-देन अदाणी ग्रुप की related party transactions कैटेगरी में नहीं आते।
- इसका सीधा मतलब ये है कि इस मामले में अदाणी ग्रुप ने नियमों का उल्लंघन नहीं किया है।
हालांकि, SEBI की यह जांच सिर्फ एक हिस्से तक सीमित थी। Hindenburg की रिपोर्ट में कई और गंभीर आरोप भी लगाए गए थे, जिनकी जांच अभी जारी है।
गौतम अदाणी की प्रतिक्रिया
SEBI के फैसले के बाद गौतम अदाणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक फोटो के साथ लिखा:
“SEBI ने यह साबित कर दिया है कि Hindenburg के आरोप पूरी तरह से झूठे और निराधार थे। ट्रांसपेरेंसी और इंटीग्रिटी हमेशा अदाणी ग्रुप की पहचान रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने झूठी कहानियां फैलाईं, उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
साथ ही उन्होंने उन निवेशकों के लिए दुख जताया जिन्होंने Hindenburg की रिपोर्ट की वजह से पैसा गंवाया।
“हम भारत के लोगों, संस्थाओं और नेशन बिल्डिंग के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं।”
अमेरिका में चल रही जांच
यह मामला सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। अदाणी ग्रुप अमेरिका में भी एक बड़े केस का सामना कर रहा है।
- अमेरिकी फेडरल प्रॉसिक्यूटर्स अदाणी ग्रुप पर $250 मिलियन (करीब ₹2,100 करोड़) की bribery scheme की जांच कर रहे हैं।
- नवंबर 2024 में इस मामले में अदाणी ग्रुप पर आधिकारिक रूप से आरोप तय किए गए थे।
- यह जांच अभी भी जारी है और इसका असर अदाणी ग्रुप की global reputation पर पड़ सकता है।
क्या मतलब है इस क्लीन चिट का?
- SEBI की क्लीन चिट का मतलब है कि related party transactions वाले मामले में अदाणी ग्रुप को राहत मिली है।
- इससे अदाणी ग्रुप के शेयरों में सकारात्मक असर पड़ सकता है और मार्केट में उनका भरोसा कुछ हद तक वापस लौट सकता है।
- लेकिन चूंकि Hindenburg की रिपोर्ट में और भी कई गंभीर आरोप हैं, इसलिए अदाणी ग्रुप को अभी पूरी तरह राहत नहीं मिली है।
निष्कर्ष
- Hindenburg की रिपोर्ट से शुरू हुआ यह विवाद अदाणी ग्रुप के लिए सबसे बड़ा कॉरपोरेट संकट था।
- SEBI की ताजा रिपोर्ट से उन्हें बड़ी राहत मिली है, लेकिन अभी भी जांच के कई हिस्से बाकी हैं।
- अमेरिका में चल रही bribery scheme की जांच भी ग्रुप के लिए चुनौती बनी हुई है।
अभी के लिए, यह अदाणी ग्रुप और उसके निवेशकों के लिए एक पॉजिटिव डेवलपमेंट है, लेकिन पूरी तस्वीर साफ होने में अभी समय लगेगा।
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Gold ₹485 सस्ता होकर ₹93,859 पहुंचा: चांदी भी ₹420 गिरी, कैरेट के अनुसार जानें गोल्ड के दाम।

14 मई को सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, 24 कैरेट सोना 10 ग्राम पर ₹485 सस्ता होकर ₹93,859 पर पहुंच गया, जबकि पहले इसकी कीमत ₹94,344 थी।
वहीं, चांदी की कीमत में भी ₹420 की कमी आई है, जिससे एक किलो चांदी अब ₹96,400 में मिल रही है। इससे पहले इसका भाव ₹96,820 प्रति किलो था। गौरतलब है कि सोना 21 अप्रैल को ₹99,100 और चांदी 28 मार्च को ₹1,00,934 प्रति किलो के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच चुकी थी।
4 महानगरों और भोपाल में सोने की कीमत
दिल्ली: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,200 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 96,210 रुपए है।
मुंबई: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,050 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 96,060 रुपए है।
कोलकाता: 10 ग्राम 22 कैरेट गोल्ड की कीमत 88,050 रुपए और 24 कैरेट 10 ग्राम सोने की कीमत 96,060 रुपए है।
चेन्नई: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,050 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 96,060 रुपए है।
भोपाल: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,100 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 96,110 रुपए है।
इस साल अब तक 17,697 रुपए महंगा हो चुका है सोना
इस साल यानी 1 जनवरी से अब तक 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम 76,162 रुपए से 17,697 रुपए बढ़कर 93,859 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं, चांदी का भाव भी 86,017 रुपए प्रति किलो से 10,383 रुपए बढ़कर 96,400 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं पिछले साल यानी 2024 में सोना 12,810 रुपए महंगा हुआ था।

सोना खरीदते समय इन 3 बातों का रखें ध्यान
- सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें
हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें। सोने पर 6 अंकों का हॉलमार्क कोड रहता है। इसे हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी HUID कहते हैं। ये नंबर अल्फान्यूमेरिक यानी कुछ इस तरह होता है- AZ4524। हॉलमार्किंग के जरिए ये पता करना संभव है कि कोई सोना कितने कैरेट का है।
- कीमत क्रॉस चेक करें
सोने का सही वजन और खरीदने के दिन उसकी कीमत कई सोर्सेज (जैसे इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन की वेबसाइट) से क्रॉस चेक करें। सोने का भाव 24 कैरेट, 22 कैरेट और 18 कैरेट के हिसाब से अलग-अलग होता है। 24 कैरेट सोने को सबसे शुद्ध सोना माना गया है, लेकिन इसकी ज्वेलरी नहीं बनती, क्योंकि वो बेहद मुलायम होता है।
- कैश पेमेंट न करें, बिल लें
सोना खरीदते वक्त कैश पेमेंट की जगह UPI (जैसे भीम ऐप) और डिजिटल बैंकिंग के जरिए पेमेंट करना अच्छा रहता है। आप चाहें तो डेबिट या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी पेमेंट कर सकते हैं। इसके बाद बिल लेना न भूलें। यदि ऑनलाइन ऑर्डर किया है तो पैकेजिंग जरूर चेक करें।
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अब UPI से ट्रांजैक्शन होगा पहले से ज्यादा सेफ और फास्ट, गलत व्यक्ति को पैसे भेजने का नहीं रहेगा खतरा।

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने नया नियम लागू किया है, जिसके तहत अब सभी UPI ऐप्स में पेमेंट से पहले जिस व्यक्ति को पैसे भेजने हैं, उसका असली नाम यानी बैंक में रजिस्टर्ड नाम ही दिखाई देगा। यह नियम पारदर्शिता बढ़ाने, फ्रॉड रोकने और डिजिटल ट्रांजैक्शन को ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए लाया गया है। 30 जून 2025 से यह बदलाव सभी UPI ऐप्स में लागू होगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि पेमेंट करने की प्रक्रिया पहले जैसी ही रहेगी, बस अब जिस नाम की पुष्टि होती है, वह सीधे बैंक के रिकॉर्ड से दिखेगा – जिससे यूज़र को सही व्यक्ति की पहचान मिल सकेगी।
अब यूजर को असली नाम ही दिखेगा
नए प्रावधान के मुताबिक अब वही नाम दिखेगा, जो बैंक की ओर से सत्यापित होगा यानी मतलब असली नाम होगा। अब तक UPI ऐप्स में क्यूआर कोड (QR Code) से लिया गया नाम, ग्राहक की ओर से लिखा गया उपनाम, फोन में सुरक्षित किए गए नाम या उपनाम दिखाए देते थे। इससे गलतियों और धोखाधड़ी की गुंजाइश रहती थी, क्योंकि धोखेबाज अक्सर नामों की नकल करके ग्राहकों को झांसे में डाल देते थे।

चूंकि कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस का डेटा बैंकों की ओर नियंत्रित होता है और सुरक्षित एपीआई (API) के जरिए हासिल किया जाता है, इसलिए इसे ग्राहक या ऐप की ओर से बदला नहीं जा सकता। इससे भुगतान करने वाले को सटीक, सत्यापित पहचान मिलेगी, जिससे गलत लेन-देन का खतरा कम होगा।
15 सेंकंड में हो जाएगा पेमेंट
UPI ट्रांजैक्शन भी पहले से दोगुनी तेजी से होगा। एनपीसीआई ने UPI सर्विस (UPI Services) को और तेज व विश्वसनीय बनाने के लिए नया रिस्पॉन्स टाइम तय किया है। एनपीसीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे 16 जून से नए प्रोसेसिंग मानकों को लागू करें। इसके तहत रिक्वेस्ट पे और रिस्पॉन्स पे सर्विस का रिस्पॉन्स टाइम 30 सेकंड से घटाकर 15 सेकंड, चेक ट्रांजैक्शन स्टेटस और ट्रांजैक्शन रिवर्सल के लिए 10 सेकंड और वैलिडेट एड्रेस के लिए 10 सेकंड किया गया है। इसी तरह का बदलाव ट्रांजैक्शन रिवर्सल (डेबिट और क्रेडिट) के लिए तय किया गया है। यानी 16 जून से 15 सेकेंड में यूपीआई पेमेंट हो जाएगा, जिसमें अभी 30 सेकंड लगता है।
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