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Punjab Government की ‘Right to Business Act’ Policy ने बदल दिया Industrial Landscape का चेहरा

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छोटे कारोबारियों के लिए वरदान साबित हुआ सरकार का भरोसे पर विकासमॉडल

पंजाब सरकार की पहल राइट टू बिज़नेस एक्ट, 2020’ ने राज्य के उद्योग जगत में नई जान फूंक दी है। यह कानून खास तौर पर उन छोटे, सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए बनाया गया है, जो पहले नई यूनिट शुरू करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते परेशान हो जाते थे।

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सोच थी कि अगर पंजाब को निवेश का हब बनाना है, तो सबसे पहले छोटे कारोबारियों को भरोसा और सुविधा देनी होगी। इसी विचार से यह नीति बनी, जो अब पंजाब के औद्योगिक विकास की रीढ़ बन चुकी है।

अब कारोबार शुरू करना हुआ आसान — “पहले काम, बाद में कागज़ात

पहले किसी भी नए उद्योग को शुरू करने के लिए दर्जनों विभागों से मंज़ूरी लेनी पड़ती थी — जैसे फैक्ट्री लाइसेंस, पर्यावरण क्लियरेंस, लेबर विभाग की स्वीकृति आदि।
अब इन सब झंझटों से मुक्ति मिल चुकी है।

इस एक्ट के तहत कोई भी उद्यमी बस एक “Declaration of Intent” यानी “व्यवसाय शुरू करने की घोषणा” ऑनलाइन जमा करता है, और सरकार तुरंत एक “Certificate of In-Principle Approval” जारी कर देती है।
इसके बाद वह बिना किसी विभागीय अनुमति की प्रतीक्षा किए अपना उद्योग शुरू कर सकता है

इस मॉडल को “Self Declaration Model” कहा गया है — यानी सरकार उद्यमी पर भरोसा करती है कि वह नियमों के अनुसार काम करेगा। यह व्यवस्था पूरी तरह भरोसे और पारदर्शिता (Trust and Transparency) पर आधारित है।

तीन साल की छूट छोटे उद्योगों के लिए बड़ा राहत पैकेज

इस एक्ट में सरकार ने उद्यमियों को तीन साल का ग्रेस पीरियड (Grace Period) दिया है।
इस दौरान उन्हें किसी भी तरह की सरकारी अनुमति या निरीक्षण की ज़रूरत नहीं होती।
जब तक कोई गंभीर शिकायत न हो, तब तक कोई अधिकारी निरीक्षण नहीं कर सकता।
तीन साल बाद, जब उद्योग स्थिर हो जाता है, तब वे सभी ज़रूरी लाइसेंस और सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं।

यह नीति भरोसे पर विकास की सोच को दिखाती है — जहाँ सरकार और उद्योगपति एक-दूसरे पर विश्वास के साथ काम करते हैं।

पूरी प्रक्रिया अब Online — भ्रष्टाचार पर लगाम

अब आवेदन से लेकर प्रमाणपत्र मिलने तक की पूरी प्रक्रिया Invest Punjab Portal के ज़रिए ऑनलाइन होती है।
इससे न केवल समय बचता है बल्कि पारदर्शिता बढ़ी है और भ्रष्टाचार के अवसर लगभग खत्म हो गए हैं।

हर ज़िले में बना “District Bureau of Enterprise (DBE)”

इस नीति को ज़मीन पर लागू करने के लिए हर ज़िले में “District Bureau of Enterprise (DBE)” बनाया गया है।
यह ब्यूरो ज़िला उपायुक्त (Deputy Commissioner) की अध्यक्षता में काम करता है।

अब उद्यमियों को अलग-अलग विभागों में जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती —
एक ही दफ्तर में आवेदन, दस्तावेज़ की जाँच, प्रमाणपत्र और शिकायत निवारण सब कुछ हो जाता है।
इससे सरकारी प्रक्रिया सरल और पारदर्शी बन गई है।

बड़े पैमाने पर रोजगार और निवेश

सरकारी आँकड़ों के अनुसार, इस नीति के लागू होने के बाद अब तक सैकड़ों नए उद्योगों ने काम शुरू किया है।
इनसे लगभग 4000 से अधिक युवाओं को रोजगार मिला है और करीब ₹400 करोड़ का निवेश राज्य में आया है।

लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, मोहाली जैसे शहरों में उद्योग जगत में नई ऊर्जा देखने को मिल रही है।
उद्यमियों का कहना है कि पहले जहाँ महीनों लग जाते थे, अब वही काम कुछ ही दिनों में पूरा हो जाता है।

महिलाओं और ग्रामीण इलाकों में नई उम्मीद

यह एक्ट महिलाओं और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है।
अब कई महिला उद्यमी अपने छोटे-छोटे व्यवसाय जैसे फूड प्रोसेसिंग, हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट, सिलाई-कढ़ाई आदि शुरू कर रही हैं।
सरकार का लक्ष्य है कि महिलाओं और युवाओं को उद्योग जगत में आगे लाया जाए और आत्मनिर्भर पंजाब का निर्माण हो।

मुख्यमंत्री मान का विज़न — “सरकार और जनता साझेदार हैं

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा है,

“सरकार को अपने लोगों पर भरोसा है। अगर हम उद्यमियों को सुविधा और विश्वास देंगे, तो वे पंजाब की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा देंगे।”

वास्तव में “राइट टू बिज़नेस एक्ट” इसी सोच को साकार करता है —
जहाँ सरकार जनता पर बोझ नहीं डालती, बल्कि उसे विकास का भागीदार बनाती है।

 “राइट टू बिज़नेस एक्ट” ने पंजाब के छोटे कारोबारियों को नई उम्मीद, नया आत्मविश्वास और नई दिशा दी है।
यह सिर्फ़ एक कानून नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक क्रांति है जिसने ईमानदार उद्यमियों के लिए रास्ते खोले हैं।

आज पंजाब के उद्यमी गर्व से कह सकते हैं —

अब कारोबार शुरू करना मुश्किल नहीं, बल्कि आसान और सम्मान की बात है।

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Game Changer Decision! अब Punjab में घंटों में मिलेगा Business Approvals — बढ़ेगीInvestment, मिलेंगे लाखों रोजगार

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पंजाब सरकार ने कारोबारियों और निवेशकों के लिए एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। सरकार ने ‘राइट टू बिज़नेस एक्ट (Right to Business Act)’ में बड़े बदलाव किए हैं, जिससे अब पंजाब देश के सबसे बिज़नेस फ्रेंडली स्टेट्स में गिना जाएगा। नई व्यवस्था के तहत अब किसी भी बिज़नेस या इंडस्ट्री को शुरू करने के लिए ज़रूरी सरकारी मंजूरी सिर्फ 5 से 18 दिनों के भीतर मिल जाएगी — जो पहले कई महीनों में मिलती थी।

अब आसान हुआ कारोबार शुरू करना

पंजाब सरकार ने साफ कहा है कि अगर कोई उद्योग पहले से तय इंडस्ट्रियल पार्क, इंडस्ट्रियल एस्टेट या सरकारी इंडस्ट्रियल ज़ोन में लगाया जा रहा है, तो उसे सभी मंजूरियां सिर्फ 5 दिनों में मिल जाएंगी। वहीं, अगर कोई प्रोजेक्ट इन क्षेत्रों से बाहर है, तो भी सभी सरकारी विभागों की मंजूरी 18 दिनों के अंदर देनी होगी।

सबसे अहम बात ये है कि अगर किसी विभाग ने तय समय में मंजूरी नहीं दी, तो कारोबारी को डीम्ड अप्रूवल’ (Deemed Approval) मिल जाएगा — यानी परमिशन अपने आप मान्य हो जाएगी। इससे लाल फीताशाही और भ्रष्टाचार दोनों पर लगाम लगेगी।

1.25 लाख करोड़ का निवेश, 4.5 लाख युवाओं को रोजगार

पंजाब के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री संजीव अरोड़ा के मुताबिक, आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से राज्य में अब तक ₹1.25 लाख करोड़ से ज़्यादा का निवेश हो चुका है। इस निवेश से करीब 4.5 लाख युवाओं को नौकरी मिली है। आने वाले समय में यह आंकड़ा और भी बढ़ेगा।

निवेश सिर्फ एक-दो क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कई सेक्टरों में फैल रहा है — जैसे स्टील, ऑटोमोबाइल, फूड प्रोसेसिंग, आईटी और टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर, हॉस्पिटैलिटी, टेक्सटाइल, लॉजिस्टिक्स और एग्री-बिज़नेस

बड़ी कंपनियों का भरोसा पंजाब पर

कई नामी कंपनियों ने पंजाब में निवेश की घोषणा की है। हाल ही में दिल्ली में हुए ‘इन्वेस्ट पंजाब रोड शो (Invest Punjab Road Show)’ में बड़ी कंपनियों जैसे ITC, Info Edge (Naukri.com), Haldiram’s, Frontline Group, LT Foods, Reliance Retail आदि ने पंजाब सरकार के साथ समझौते किए।

  • Infosys मोहाली में एक बड़ा टेक्नोलॉजी और डेवलपमेंट सेंटर बना रही है। इससे 5000 से ज़्यादा युवाओं को सीधा रोजगार मिलेगा।
  • Fortis Healthcare Group लगभग ₹950 करोड़ का निवेश कर रहा है, जिसके तहत नए अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और डायग्नोस्टिक सेंटर बनाए जाएंगे। इससे हज़ारों डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को नौकरी मिलेगी।

विदेशी निवेशक भी दिखा रहे हैं रुचि

नई पॉलिसी से प्रभावित होकर अब 10 से ज़्यादा देशों की कंपनियां भी पंजाब में निवेश कर रही हैं। इनमें अमेरिका, जापान, साउथ कोरिया, सिंगापुर, जर्मनी, यूके, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हैं।
विदेशी निवेशक खास तौर पर ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

24 इंडस्ट्री सेक्टर के लिए बनीं स्पेशल कमेटियां

पंजाब सरकार ने हर बड़े उद्योग क्षेत्र के लिए अलग-अलग स्पेशल कमेटियां बनाई हैं।
कुल 24 सेक्टरों पर ये कमेटियां काम कर रही हैं — जैसे
स्टील, ऑटोमोबाइल, फूड प्रोसेसिंग, आईटी, हेल्थकेयर, फार्मा, हॉस्पिटैलिटी, टेक्सटाइल, रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स, एजुकेशन, स्किल डेवलपमेंट आदि।

इन कमेटियों में सरकारी अफसर, उद्योग जगत के विशेषज्ञ और कारोबारी शामिल हैं, जो हर सेक्टर की ज़रूरत के हिसाब से सुझाव दे रहे हैं।

MSME (छोटे कारोबारियों) के लिए बड़ी राहत

पंजाब सरकार ने छोटे और मध्यम उद्योगों यानी MSME सेक्टर के लिए कई राहतें दी हैं —

  • अब पहले तीन साल तक कारोबारी खुद ही “Self-Declaration” देकर बिज़नेस शुरू कर सकते हैं।
  • इस दौरान कोई सरकारी निरीक्षण या जांच नहीं होगी।
  • दस्तावेज़ों की संख्या घटाकर 5-6 तक सीमित की गई है, जबकि पहले 15-20 सर्टिफिकेट लगाने पड़ते थे।

पंजाब में लगभग 3.5 लाख MSME यूनिट्स हैं, जो राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं। सरकार का कहना है कि इन्हें मज़बूत करना उसकी प्राथमिकता है।

50,000 एकड़ लैंड बैंक और 78 इंडस्ट्रियल पार्क

निवेशकों को ज़मीन उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने एक बड़ा लैंड बैंक’ (Land Bank) तैयार किया है।
इसमें 50,000 एकड़ से ज़्यादा जमीन चिन्हित की गई है, जो मुख्य हाईवे और शहरों के पास स्थित है।

राज्य में 78 इंडस्ट्रियल पार्क और एस्टेट्स को अपग्रेड किया जा रहा है, जबकि नए इंडस्ट्रियल पार्क भी बन रहे हैं — खासकर लुधियाना, जालंधर, मोहाली, अमृतसर, पटियाला और बठिंडा में।

‘Invest Punjab’ Portal – एक क्लिक पर पूरी सुविधा

कारोबारियों की सुविधा के लिए सरकार ने ‘Invest Punjab’ नाम का डिजिटल पोर्टल लॉन्च किया है।
इस पोर्टल के ज़रिए निवेशक घर बैठे ही:

  • ज़रूरी दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं,
  • परमिशन के लिए आवेदन कर सकते हैं,
  • और अपनी फाइल की स्थिति ट्रैक कर सकते हैं।

यह पूरी प्रक्रिया को ट्रांसपेरेंट और पेपरलेस बनाता है।

सीएम भगवंत मान की पहल

मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद निवेशकों से मिल रहे हैं और उनकी दिक्कतों को सीधे सुन रहे हैं।
उन्होंने मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और चंडीगढ़ में कई रोड शो और इन्वेस्टमेंट समिट्स किए, जिनमें देश-विदेश की सैकड़ों कंपनियों ने हिस्सा लिया।

सीएम मान ने कहा —

“पंजाब के पास मेहनती युवा हैं, बेहतरीन कनेक्टिविटी है और अब एक बिज़नेस फ्रेंडली सरकार भी है। हम चाहते हैं कि हर निवेशक को सम्मान और सहयोग मिले। हमारा वादा है कि अब पंजाब में बिज़नेस करना आसान, तेज़ और सुरक्षित होगा।”

पंजाब सरकार का यह कदम न सिर्फ राज्य की अर्थव्यवस्था को नई उड़ान देगा, बल्कि युवाओं के लिए रोज़गार के लाखों मौके भी पैदा करेगा।
‘राइट टू बिज़नेस एक्ट’ में किए गए ये बदलाव पंजाब को भारत के सबसे निवेश-फ्रेंडली राज्यों में शामिल करने की दिशा में एक गेम चेंजर साबित होंगे।

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Punjab में Maize Revolution: Crop Diversification से बढ़ी किसानों की उम्मीदें

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रंगला पंजाबकी ओर एक नया कदम मक्का का रकबा 16.27% बढ़ा, अब 1 लाख हेक्टेयर तक पहुँचा

पंजाब में अब खेतों की तस्वीर बदल रही है। बरसों से जहाँ तक नज़र जाती थी, वहाँ धान की हरियाली दिखती थी — पर अब धीरे-धीरे मक्का की सुनहरी लहरें उस जगह ले रही हैं। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सरकार ने जिस “फसल विविधीकरण मिशन (Crop Diversification Mission)” की शुरुआत की थी, वह अब एक सच्ची मक्का क्रांति (Maize Revolution)” बनती जा रही है।

धान से मक्का की ओर बदलाव: किसानों की नई सोच

पंजाब का किसान लंबे समय से धान-गेहूँ के चक्रव्यूह में फंसा हुआ था। धान की खेती में ज़्यादा पानी लगता है और इससे भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा था। ऊपर से फसल की लागत बढ़ती जा रही थी और आमदनी घट रही थी। किसानों की यही मुश्किल अब बदल रही है — क्योंकि सरकार ने उन्हें कम पानी वाली और ज़्यादा मुनाफ़े वाली फसलों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।

सरकार की मेहनत का असर अब दिख रहा है। 2024 में जहाँ मक्का की खेती 86,000 हेक्टेयर में होती थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 1,00,000 हेक्टेयर तक पहुँच गई है — यानी 16.27% की बढ़ोतरी। यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि पंजाब के किसानों की सोच में आए बदलाव की कहानी है।

सरकार का विज़न: रंगला पंजाबका असली अर्थ

“रंगला पंजाब” की बात सिर्फ़ शहरों को सुंदर बनाने तक सीमित नहीं है। इसका असली मतलब है —
धरती को स्वस्थ बनाना और किसान को समृद्ध करना।
धान की जगह मक्का जैसी फसलों को बढ़ावा देकर राज्य सरकार ने यह साबित किया है कि अगर नीयत साफ़ हो तो बदलाव ज़रूर आता है।

6 जिलों में शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में राज्य सरकार ने 6 जिलों — बठिंडा, संगरूर, कपूरथला, जालंधर, गुरदासपुर और पठानकोट — में 12,000 हेक्टेयर भूमि को धान से मक्का में बदलने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।

इस परियोजना के तहत:

  • किसानों को ₹17,500 प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जा रही है।
  • इसके अलावा, किसानों को ₹7,000 प्रति एकड़ की सब्सिडी भी मिलेगी।
  • किसानों का मार्गदर्शन करने के लिए 185 “किसान मित्र” (Farmer Friends) नियुक्त किए गए हैं।
  • इस योजना से लगभग 30,000 किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुडियाँ ने हाल ही में एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक में इस प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा की और खरीफ मक्का की सुचारू खरीद के लिए ज़रूरी निर्देश जारी किए।

जिलों में मक्का की बढ़ती खेती

कृषि विभाग के अनुसार, खरीफ मक्का अब लगभग 7,000 हेक्टेयर (19,500 एकड़) भूमि में बोया गया है।
सबसे अधिक रकबा पठानकोट जिले में दर्ज किया गया — 4,100 एकड़,
इसके बाद संगरूर (3,700), बठिंडा (3,200), जालंधर (3,100), कपूरथला (2,800) और गुरदासपुर (2,600) का स्थान है।

यह आँकड़े दिखाते हैं कि धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से किसान मक्का की खेती को अपना रहे हैं।

खरीद और गुणवत्ता पर ज़ोर

सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों को अपनी उपज बेचने में कोई दिक्कत न हो,
कृषि विभाग, पंजाब मंडी बोर्ड और मार्कफेड की जिला स्तरीय समितियाँ बनाई हैं।

कृषि मंत्री ने किसानों से अपील की है कि वे सूखा मक्का लेकर मंडी आएँ, ताकि खरीद में आसानी रहे।
वहीं कृषि विभाग के सचिव डॉ. बसंत गर्ग ने निर्देश दिया कि मक्का में 14% से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने सभी ज़िला अधिकारियों को किसानों को जागरूक करने और बेहतर मूल्य दिलाने के लिए सक्रिय रूप से काम करने को कहा है।

बैठक में श्री रामवीर (सचिव, पंजाब मंडी बोर्ड), श्री कुमार अमित (MD, मार्कफेड) और श्री जसवंत सिंह (निदेशक, कृषि) सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

पर्यावरण और किसानों के लिए लाभ

मक्का की खेती से:

  • पानी की खपत कम होती है, जिससे भूजल स्तर बचता है।
  • किसानों को बेहतर दाम और अधिक आमदनी मिलती है।
  • खेत की मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है।

कुल मिलाकर, यह बदलाव न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी एक दोहरी जीत (double victory) है।

मक्का क्रांति” — किसानों का नया आत्मविश्वास

जब सरकार किसानों को MSP की गारंटी और आर्थिक सुरक्षा का भरोसा देती है,
तो किसान पुरानी परंपराओं से निकलकर नया कदम उठाने से नहीं डरते।
पंजाब के किसान अब यही कर रहे हैं —
धान की जगह मक्का बोकर वे न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी बदल रहे हैं, बल्कि धरती माँ का कर्ज भी चुका रहे हैं।

यह “मक्का क्रांति” पंजाब की भावनात्मक और आर्थिक आज़ादी का प्रतीक बन चुकी है।
यह दिखाती है कि अगर सरकार और किसान एक साथ खड़े हों,
तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती — और सफलता तय होती है।

पंजाब में यह फसल विविधीकरण अभियान सिर्फ़ एक सरकारी योजना नहीं,
बल्कि एक जन-आंदोलन बन चुका है।
हर वह किसान जो धान की जगह मक्का बो रहा है,
वह असल में भविष्य की खुशहाली बो रहा है।

रंगला पंजाब” अब खेतों से होकर निकल रहा है —
जहाँ सुनहरी मक्का की बालियाँ हवा में झूम रही हैं,
और हर किसान की मुस्कान कह रही है —
बदलाव संभव है।

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Ludhiana GLADA को High Court से बड़ा झटका: Plot खरीदार को पैसे लौटाने के आदेश को चुनौती देने वाली Petition खारिज

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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (GLADA) को बड़ा झटका देते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी। GLADA ने एक आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे एक प्लॉट खरीदार को पैसे लौटाने का निर्देश दिया गया था।

मामले की पृष्ठभूमि:
यह विवाद 2012 की GLADA की आवासीय प्लॉट योजना से जुड़ा है, जो शुगर मिल साइट, जगराओं में लागू थी। कांता नाम की महिला को 500 वर्ग गज का प्लॉट आवंटित किया गया था। इसके बाद GLADA की मंजूरी से यह प्लॉट शिकायतकर्ता को ट्रांसफर कर दिया गया। कांता ने लगभग ₹29.76 लाख और ₹1.08 लाख हस्तांतरण शुल्क देकर दिसंबर 2015 में पुन: आवंटन पत्र प्राप्त किया।

कब्जा नहीं मिला और शिकायत दर्ज:
आवंटन की शर्तों के अनुसार, प्लॉट का कब्जा 90 दिनों के भीतर दिया जाना था। लेकिन खरीदार ने लगातार अनुरोध करने के बावजूद, दो साल तक प्लॉट का कब्जा नहीं मिला।

इस पर शिकायतकर्ता ने सेवा में कमी (deficiency of service) का आरोप लगाते हुए उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने ब्याज और मुआवजे के साथ धनवापसी की मांग की।

SCDRC और NCDRC के आदेश:

  • SCDRC (2018) ने GLADA को निर्देश दिया कि वह जमा राशि 12% ब्याज के साथ, हस्तांतरण शुल्क और उत्पीड़न के लिए ₹1 लाख मुआवजा लौटाए।
  • NCDRC (2024) ने SCDRC के आदेश को कुछ बदलावों के साथ बरकरार रखा। धनवापसी और ब्याज जारी रहे, लेकिन मुआवजे की राशि को रद्द कर ₹10,000 जुर्माना लगाया।

GLADA की दलील:
GLADA ने उच्च न्यायालय में यह दावा किया कि आवंटन पत्र के सेक्शन 4 के अनुसार, अगर आवंटनकर्ता निर्धारित समय में कब्जा नहीं लेता, तो इसे डीम्ड कब्जा माना जाएगा। इसके अलावा, GLADA ने आरोप लगाया कि खरीदार ने प्लॉट को सट्टा (speculative) उद्देश्य से खरीदा था।

हाईकोर्ट का फैसला:
हाईकोर्ट ने GLADA की दलीलों को खारिज कर दिया। बेंच ने कहा कि GLADA ने यह साबित नहीं किया कि कब्जा समय पर दिया गया या प्लॉट के लिए जरूरी विकास कार्य – जैसे सड़क कनेक्टिविटी, सीवरेज, या पूर्णता प्रमाण पत्र – पूरे किए गए।

अदालत ने स्पष्ट किया कि डीम्ड कब्जे का कॉन्सेप्ट केवल तभी लागू होता है जब डेवलपर पूरी तैयारी कर चुका हो और प्लॉट सौंपने के लिए तैयार हो, लेकिन खरीदार इसे लेने से इंकार करता हो। इस केस में ऐसा कुछ साबित नहीं हुआ।

हाईकोर्ट ने GLADA की याचिका को योग्यता से रहित मानते हुए खारिज कर दिया। इससे साफ है कि उपभोक्ता को उसका हक मिलता है और डेवलपर्स को समय पर सेवा देने की जिम्मेदारी है।

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