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Delhi Assembly में ‘फांसी घर’ नहीं, ‘Tiffin Room’ था – Speaker Vijender Gupta ने AAP पर लगाया इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का आरोप

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दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन एक अनोखा और विवादास्पद मुद्दा चर्चा में रहा – क्या वाकई दिल्ली विधानसभा में ब्रिटिश काल का कोई फांसी घर था या वह सिर्फ एक टिफिन रूम (खाने-पीने का सामान रखने की जगह) था?

इस मुद्दे को लेकर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।

स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने क्या कहा?

दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने 2011 के नक्शे का हवाला देते हुए कहा कि जहां AAP सरकार ने 2022 में ‘फांसी घर’ बताकर एक जगह का जीर्णोद्धार कराया था, वह असल में एक टिफिन रूम था।
उन्होंने कहा,

“इस स्थान को गलत तरीके से फांसी घर बताया गया और 1942 का एक शिलालेख लगाकर इसे पर्यटक स्थल के तौर पर प्रचारित किया गया, जबकि सच्चाई यह है कि वहां कभी कोई फांसी घर था ही नहीं।”

गुप्ता ने यह भी दावा किया कि उस कमरे में जो लकड़ी का लिफ्टनुमा ढांचा है, वह असल में खाने-पीने का सामान ऊपर-नीचे ले जाने के लिए था, न कि किसी ‘ट्रैपडोर’ या ‘गैलोज़’ (फांसी देने वाला मंच) का हिस्सा।

AAP पर गंभीर आरोप

विधानसभा में मंत्री परवेश साहिब सिंह ने कहा कि यह सब पूर्व स्पीकर राम निवास गोयल के कहने पर हुआ था, जिन्होंने पहले उस स्थान को ‘फांसी घर’ बताया।
उन्होंने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया कि बिना ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) या दिल्ली आर्काइव से पुष्टि किए, लाखों रुपये खर्च कर उस जगह का पुनर्निर्माण करवाया गया और जनता को गुमराह किया गया।

“केजरीवाल को किसी अधिकारी ने कह दिया कि यहां फांसी घर था, और उन्होंने बिना जांच के उसे ऐतिहासिक स्थल बता दिया,” – परवेश सिंह

ASI की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वह स्थान कोई ऐतिहासिक स्थल नहीं है।

AAP का जवाब – “ये असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश”

AAP नेता और पूर्व मंत्री आतिशी ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि यह सब असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने कहा,

“हर घंटे में विधानसभा चलाने पर लाखों रुपये खर्च होते हैं। ये पैसे जनता के खून-पसीने की कमाई हैं। लेकिन आप झुग्गियों, स्कूलों, अस्पतालों की दवा की कमी, या कानून व्यवस्था जैसे असली मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहते — आपको तो सिर्फ ‘हैंगिंग रूम’ पर बात करनी है?”

उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वो दिल्ली की जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है और बेवजह के विषयों में सदन का समय और जनता का पैसा बर्बाद कर रही है।

विदेशी मेहमानों के सामने हुआ विवाद

यह पूरा विवाद तब और गर्माया जब एक ब्रिटिश संसद के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा का दौरा किया। उसी दौरान सत्ता और विपक्ष के बीच इस ‘फांसी घर’ को लेकर गर्मागर्म बहस हुई।

विधानसभा में “फांसी घर” बनाम “टिफिन रूम” का मुद्दा अब सिर्फ एक ऐतिहासिक बहस नहीं रह गया, बल्कि यह राजनीति का नया अखाड़ा बन गया है। एक ओर बीजेपी इसे AAP की “इतिहास से छेड़छाड़” बता रही है, वहीं आप पार्टी इसे जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश बता रही है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या इस मुद्दे पर कोई जांच होगी या यह राजनीतिक तू-तू, मैं-मैं का हिस्सा बनकर ही रह जाएगा।

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संत Premanand का Message – “जिसे सजा मिलती है, उसने कभी न कभी अपराध किया होता है”

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राधानाम के प्रचार-प्रसार से प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के श्रीराधा केलिकुंज आश्रम में रविवार सुबह एक खास मुलाक़ात हुई। मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला और उत्तर प्रदेश पुलिस के एएसपी अनुज चौधरी यहां आशीर्वाद लेने पहुंचे। दोनों ने संत से एकांतिक वार्ता की और जीवन व कर्तव्य से जुड़े सवाल पूछे।

एएसपी अनुज चौधरी का सवाल

वार्ता के दौरान एएसपी अनुज चौधरी ने एक घटना का ज़िक्र करते हुए सवाल किया –
“एक युवक की मौत के बाद उसके पिता ने पड़ोसी पर हत्या का आरोप लगाया। न हमारे पास कोई सबूत था और न ही आरोप लगाने वाले के पास। लेकिन कानूनी प्रक्रिया के तहत मुझे आरोपी को जेल भेजना पड़ा। क्या यह मेरे लिए अपराध है?”

संत प्रेमानंद का जवाब

संत प्रेमानंद ने शांत भाव से जवाब दिया –

  • यह अपराध नहीं है।
  • जिसे सजा मिलती है, उसने जीवन में कभी न कभी अपराध किया जरूर होता है।
  • भगवान बिना अपराध के किसी को सजा नहीं देते, भले ही वह अपराध उसी घटना में न हुआ हो।
  • यह भगवान का विधान है कि अपराधी चाहे एक बार बच जाए, लेकिन वह कभी न्याय से नहीं बच सकता।
  • आपका कर्तव्य है कि आप निस्वार्थ भाव से अपनी ड्यूटी निभाएं, और आपने वही किया।

उप मुख्यमंत्री को मिला संदेश

उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला जब सुबह करीब साढ़े छह बजे आश्रम पहुंचे तो संत प्रेमानंद ने उन्हें भी आशीर्वाद और संदेश दिया –

  • भगवान का स्मरण हमेशा करते रहें।
  • आपको जो पद मिला है, उसका उपयोग राष्ट्र और समाज की सेवा में करें।
  • भय और प्रलोभन से दूर रहें, क्योंकि ये इंसान को उसके कर्तव्य से गिरा देते हैं।
  • जिसके साथ भगवान हैं, उसे किसी का डर नहीं होना चाहिए।
  • जब तक भगवान की इच्छा नहीं, कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
  • अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निभाते हुए आप लौकिक और पारलौकिक, दोनों तरह की उन्नति कर सकते हैं।

मुलाक़ात का महत्व

संत प्रेमानंद के इन संदेशों में कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी और भगवान में विश्वास की झलक साफ दिखी। उन्होंने साफ कहा कि अधिकारी और नेता, दोनों को ही अपने पद का इस्तेमाल केवल सेवा के लिए करना चाहिए, बिना किसी डर या लालच के।

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“अगर रतन टाटा जिंदा होते तो…” – Ahmedabad Plane Crash के 2 महीने बाद भी Compensation न मिलने पर पीड़ित परिवारों का दर्द

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12 जून 2025 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ एअर इंडिया फ्लाइट AI-171 का भीषण हादसा आज भी लोगों की आंखों में ताज़ा है। इस हादसे में 12 क्रू मेंबर समेत 241 यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि ज़मीन पर भी कई लोग इसकी चपेट में आ गए। कुल मिलाकर मृतकों का आंकड़ा 260 तक पहुंच गया। हादसे के वक्त विमान ने अहमदाबाद से लंदन गेटविक के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन उड़ान के कुछ ही देर बाद दोनों इंजन बंद हो गए और प्लेन बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकराकर आग के गोले में बदल गया। पूरे शहर में चीख-पुकार मच गई। उस दिन का मंजर कोई नहीं भूल सकता।

एकमात्र ज़िंदा बचने वाला यात्री

इस भीषण हादसे में चमत्कारिक रूप से सिर्फ एक यात्री – ब्रिटेन के नागरिक विश्वाश कुमार रमेश – जिंदा बचे, जो खुद मलबे से निकल आए। बाकी सबने अपनी जान गंवा दी।

जांच में अब तक क्या सामने आया?

सरकार की ओर से जारी प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया कि इंजन “कट-ऑफ” पोजीशन में चले गए थे, लेकिन इसके पीछे का कारण—तकनीकी खराबी, मानव त्रुटि या डिजाइन दोष—अभी साफ नहीं है। जांच में भारत के साथ यूके की AAIB और अमेरिका की NTSB जैसी एजेंसियां भी शामिल हैं। हादसे के सही कारणों का खुलासा अभी बाकी है।

मुआवजे का वादा और हकीकत

हादसे के बाद एयर इंडिया ने मृतकों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का एलान किया था। इसके साथ ही 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा भी घोषित किया गया, ताकि परिवारों को तुरंत आर्थिक मदद मिल सके।

  • 26 जुलाई तक 147 परिवारों को 25 लाख रुपये की राशि मिल चुकी है।
  • 52 और परिवारों के दस्तावेज़ सत्यापन की प्रक्रिया में हैं।
  • 166 परिवारों को अब तक अंतरिम भुगतान हो चुका है, लेकिन वादा किए गए 1 करोड़ रुपये का मुआवजा अभी तक किसी को नहीं मिला।

टाटा समूह ने इस हादसे के पीड़ितों के लिए 500 करोड़ रुपये का ‘AI-171 मेमोरियल एंड वेलफेयर ट्रस्ट’ भी बनाया है, जिसका उद्देश्य केवल मुआवजा देना ही नहीं बल्कि परिवारों की लंबे समय तक मदद करना, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना और पुनर्वास कार्य करना है।

अगर रतन टाटा होते तो…”

करीब 65 पीड़ित परिवारों का केस लड़ रहे अमेरिकी वकील माइक एंड्रयूज का कहना है कि अगर टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा आज ज़िंदा होते तो मुआवजे में इतनी देरी नहीं होती। उन्होंने कहा—”रतन टाटा पीड़ितों को कभी इंतजार नहीं कराते थे, वो तुरंत मदद करते थे।”
एंड्रयूज ने एक पीड़ित मां का जिक्र करते हुए कहा—”एक बुजुर्ग मां अपने बेटे पर निर्भर थी, लेकिन इस हादसे में उसने अपना सहारा खो दिया। आज वो बिस्तर पर है और उसे कोई मुआवजा नहीं मिला। ऐसे में वो क्या करे?”

कानूनी लड़ाई और आगे की राह

माइक एंड्रयूज और उनकी टीम इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी विकल्प तलाश रही है, जिसमें विमान निर्माता बोइंग के खिलाफ अमेरिकी अदालत में केस करने की संभावना भी है। उन्होंने कहा कि हादसे से जुड़े सभी डेटा और सबूत सामने लाना ज़रूरी है, ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके।

हादसे को दो महीने से ज्यादा वक्त हो गया है, लेकिन कई परिवार अब भी न्याय और वादे के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं। मुआवजे की देरी और जांच की लंबी प्रक्रिया पीड़ितों के जख्मों को और गहरा कर रही है। सवाल साफ है—क्या ये इंतजार जल्द खत्म होगा, या फिर पीड़ितों को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी?

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Karnataka में Voter Fraud का मामला गरमाया – Deputy CM D.K. Shivakumar ने Election Commission में दी औपचारिक शिकायत

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कर्नाटक में कथित वोटर फ्रॉड को लेकर सियासत तेज हो गई है। शुक्रवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में बेंगलुरु में हुए विरोध प्रदर्शन के कुछ घंटे बाद ही राज्य के डिप्टी सीएम और कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) को औपचारिक शिकायत सौंप दी। इस शिकायत में उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान हुई कथित चुनावी गड़बड़ियों में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

चुनाव आयोग ने मांगे सबूत

शिवकुमार की शिकायत मिलने के बाद CEO ने उनसे कहा कि Registration of Electors Rules, 1960 के तहत जरूरी दस्तावेज़ी सबूत और डिक्लेरेशन जमा करें, तभी आगे कार्रवाई संभव है। आयोग ने साफ किया कि शिवकुमार ने 5 अगस्त 2024 को दी गई अपनी रिप्रेज़ेंटेशन का हवाला दिया है, लेकिन उसके साथ कोई डॉक्यूमेंटरी प्रूफ नहीं जोड़ा गया।

शिवकुमार के आरोप – “वोट चोरी पूरे कर्नाटक में”

शिवकुमार ने कहा कि वोट चोरी सिर्फ महादेवपुरा में नहीं बल्कि पूरे राज्य में हुई है। उन्होंने महादेवपुरा और गांधीनगर लोकसभा सीटों का उदाहरण देते हुए बताया कि—

  • एक ही व्यक्ति का नाम 5 से ज्यादा जगह दर्ज किया गया।
  • बिना घर नंबर के वोट रजिस्ट्रेशन हुए।
  • खाली प्लॉट को पते के रूप में इस्तेमाल किया गया।
  • वोट को एक बूथ से दूसरे बूथ में शिफ्ट किया गया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस इन मामलों के सबूत जल्द पेश करेगी और चुनाव आयोग से दोषी अधिकारियों को सख्त सज़ा देने की मांग की है, चाहे वो ब्लॉक लेवल ऑफिसर हो या रिटर्निंग ऑफिसर।

राहुल गांधी और खड़गे के शपथपत्र पर विवाद

EC ने राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से उनके “वोट चोरी” वाले बयानों पर शपथपत्र मांगा है। इस पर शिवकुमार का कहना है—

“चुनाव लड़ते समय हम पहले ही शपथपत्र दे चुके हैं। दोबारा की ज़रूरत नहीं। अगर हम झूठ बोल रहे हैं तो मुझे फांसी दे दें। EC ने हमारे आरोप खारिज नहीं किए और न ही यह कहा कि हम झूठ बोल रहे हैं।”

6 महीने की जांच, AI टूल्स का इस्तेमाल

शिवकुमार ने बताया कि 20 लोगों की टीम ने 6 महीने तक महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में जांच की।
इस दौरान EC की मतदाता सूची में मौजूद फोटो को AI टूल्स की मदद से मिलाया गया, जिससे डुप्लीकेट, फर्जी और “घोस्ट” वोटर पकड़े गए।

शिकायत में रखी गई प्रमुख मांगें

  1. पूरे कर्नाटक की सभी लोकसभा सीटों की मतदाता सूचियों की जांच।
  2. डिजिटल और मशीन-रीडेबल फोटो इलेक्टोरल रोल पब्लिक के लिए उपलब्ध कराना।
  3. जांच रिपोर्ट को पब्लिश करना, खासकर उन मतदाताओं की लिस्ट जो जोड़े गए, हटाए गए या बदले गए।
  4. यह देखना कि संदिग्ध वोटरों ने चुनाव नतीजों पर कितना असर डाला।
  5. फर्जी Form-6, Form-7, Form-8 पर साइन करने वाले अधिकारियों की पहचान, निलंबन और सज़ा।

शिवकुमार का कहना है कि कांग्रेस इस लड़ाई को अंजाम तक ले जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि चुनाव आयोग आगे क्या कदम उठाता है।

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