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Punjab में नशा मुक्त भविष्य की ओर बड़ा कदम Mann Government  ने Schools में शुरू किया Anti-Drug Curriculum, 3,658 Government Schools में 8 Lakh Students होंगे लाभान्वित

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पंजाब, जो लंबे समय से नशे की समस्या से जूझ रहा है, अब बदलाव की राह पर चल पड़ा है। कभी नशे की वजह से पंजाब का नाम बदनाम हो रहा था, परिवार टूट रहे थे और युवा बर्बाद हो रहे थे। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने यह ठान लिया है कि नशे की जड़ को सिर्फ पुलिस की कार्रवाई से नहीं, बल्कि शिक्षा और जागरूकता के जरिए खत्म किया जाएगा।

अब नशे के खिलाफ जंग थानों से नहीं बल्कि स्कूलों की कक्षाओं से लड़ी जाएगी। यह एक ऐसा कदम है जो न सिर्फ पंजाब बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल बन सकता है।

स्कूलों में 1 अगस्त से शुरू हुई खास क्लासेस

1 अगस्त 2025 से पूरे पंजाब के सरकारी स्कूलों की 9वीं से 12वीं कक्षा के बच्चों के लिए वैज्ञानिक तरीके से डिज़ाइन किया गया नशा-विरोधी पाठ्यक्रम शुरू कर दिया गया है।

  • इस कोर्स को नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. अभिजीत बनर्जी की टीम ने शिक्षा विशेषज्ञों के साथ मिलकर तैयार किया है।
  • इसका उद्देश्य बच्चों को शुरुआत से ही नशे के खतरों के बारे में जागरूक करना और उन्हें मजबूत बनाना है ताकि वे गलत रास्ते पर न जाएं।

मुख्य बातें:

  • यह पाठ्यक्रम हर 15वें दिन 35 मिनट की क्लास के रूप में पढ़ाया जाएगा।
  • कुल 27 हफ्तों तक यह कोर्स चलेगा।
  • राज्य के लगभग 3,658 सरकारी स्कूलों में इसे लागू किया जा रहा है।
  • इसे पढ़ाने के लिए 6,500 से ज्यादा शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गई है।
  • लगभग 8 लाख बच्चे इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे।

बच्चों को समझाने का नया तरीका

इस कोर्स को सिर्फ पढ़ाया ही नहीं जाएगा, बल्कि बच्चों को इंटरेक्टिव और मजेदार एक्टिविटीज़ के जरिए समझाया जाएगा।

  • उन्हें नशे के खतरों पर फिल्में दिखाई जाएंगी।
  • क्विज़ प्रतियोगिताएं होंगी।
  • पोस्टर और वर्कशीट के जरिए बच्चों को सोचने और समझने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
  • ग्रुप एक्टिविटीज़ होंगी ताकि बच्चे खुलकर अपनी बातें रख सकें।

बच्चों को यह सिखाया जाएगा कि:

  1. नशे को नाकैसे कहें।
  2. Peer Pressure यानी दोस्तों के दबाव में गलत रास्ता न चुनें।
  3. सही और गलत में फर्क करना सीखें।
  4. जीवन में सही फैसले खुद लेना सीखें।

यानी यह पाठ्यक्रम सिर्फ नशे से बचाने के लिए नहीं, बल्कि बच्चों के Life Skills को भी बेहतर बनाने में मदद करेगा।

पहले पायलट प्रोजेक्ट में मिले शानदार नतीजे

इस योजना को पूरे राज्य में लागू करने से पहले इसे अमृतसर और तरनतारन के 78 स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया गया।

  • इसमें 9,600 छात्रों ने हिस्सा लिया।
  • नतीजे बेहद उत्साहजनक रहे:
    • 90% छात्रों ने माना कि एक बार नशा करने से भी इसकी लत लग सकती है।
    • पहले जहां 50% बच्चे सोचते थे कि सिर्फ इच्छाशक्ति से नशा छोड़ा जा सकता है, यह आंकड़ा घटकर 20% रह गया।

इसका मतलब यह है कि सही शिक्षा बच्चों की सोच बदल सकती है। और जब सोच बदलेगी, तभी समाज बदलेगा।

युद्ध नशियां विरुद्धअभियान सप्लाई पर सख्ती, डिमांड पर समझदारी

मान सरकार की नीति दो हिस्सों में बंटी है:

  1. सप्लाई चेन तोड़ना: यानी नशा बेचने वालों और तस्करों पर सख्त कार्रवाई।
  2. डिमांड कम करना: बच्चों और युवाओं को जागरूक कर नशे की मांग को खत्म करना।

अभियान की शुरुआत: 1 मार्च 2025

  • अगस्त 2025 के अंत तक पंजाब पुलिस ने 28,025 से ज्यादा नशा तस्करों को गिरफ्तार किया।
  • यह दिखाता है कि सरकार सिर्फ बातें नहीं कर रही, बल्कि ग्राउंड लेवल पर काम कर रही है।

अभियान का सामाजिक महत्व

यह कार्यक्रम सिर्फ एक Education Policy नहीं है, बल्कि यह Social Revolution यानी सामाजिक क्रांति है।

  • मान सरकार का यह प्रोग्राम किसी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि पंजाब के भविष्य को बचाने के लिए शुरू किया गया पवित्र मिशन है।
  • सरकार का लक्ष्य है कि पंजाब को उड़ता पंजाबसे रंगला पंजाब बनाया जाए और उसका खोया गौरव वापस लाया जाए।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कई बार कहा है कि वह चाहते हैं कि हर माता-पिता यह गर्व से कह सकें कि उनका बच्चा नशे से सुरक्षित है — और यह भरोसा मान सरकार देगी।

क्यों है यह पहल देश के लिए मिसाल

  • पंजाब पहला राज्य है जिसने इस तरह का वैज्ञानिक, व्यवस्थित और बड़े पैमाने पर नशा-विरोधी पाठ्यक्रम शुरू किया है।
  • इस मॉडल को भविष्य में अन्य राज्यों में भी अपनाया जा सकता है।
  • यह पहल दिखाती है कि नशे जैसी गहरी समस्या को सिर्फ कानून से नहीं, बल्कि शिक्षा और जागरूकता के जरिए खत्म किया जा सकता है।

मान सरकार का यह कदम दिखाता है कि नशे से लड़ाई सिर्फ पकड़-धकड़ तक सीमित नहीं है। असली बदलाव तब आएगा जब समाज में सोच बदलेगी और युवा सही रास्ता चुनेंगे।
पंजाब अब बदलाव की इस यात्रा पर निकल पड़ा है। आने वाले समय में यह पहल न सिर्फ पंजाब को नशा-मुक्त बनाएगी, बल्कि पूरे देश के लिए एक Inspiration यानी प्रेरणा बनेगी।

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Ludhiana GLADA को High Court से बड़ा झटका: Plot खरीदार को पैसे लौटाने के आदेश को चुनौती देने वाली Petition खारिज

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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (GLADA) को बड़ा झटका देते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी। GLADA ने एक आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे एक प्लॉट खरीदार को पैसे लौटाने का निर्देश दिया गया था।

मामले की पृष्ठभूमि:
यह विवाद 2012 की GLADA की आवासीय प्लॉट योजना से जुड़ा है, जो शुगर मिल साइट, जगराओं में लागू थी। कांता नाम की महिला को 500 वर्ग गज का प्लॉट आवंटित किया गया था। इसके बाद GLADA की मंजूरी से यह प्लॉट शिकायतकर्ता को ट्रांसफर कर दिया गया। कांता ने लगभग ₹29.76 लाख और ₹1.08 लाख हस्तांतरण शुल्क देकर दिसंबर 2015 में पुन: आवंटन पत्र प्राप्त किया।

कब्जा नहीं मिला और शिकायत दर्ज:
आवंटन की शर्तों के अनुसार, प्लॉट का कब्जा 90 दिनों के भीतर दिया जाना था। लेकिन खरीदार ने लगातार अनुरोध करने के बावजूद, दो साल तक प्लॉट का कब्जा नहीं मिला।

इस पर शिकायतकर्ता ने सेवा में कमी (deficiency of service) का आरोप लगाते हुए उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने ब्याज और मुआवजे के साथ धनवापसी की मांग की।

SCDRC और NCDRC के आदेश:

  • SCDRC (2018) ने GLADA को निर्देश दिया कि वह जमा राशि 12% ब्याज के साथ, हस्तांतरण शुल्क और उत्पीड़न के लिए ₹1 लाख मुआवजा लौटाए।
  • NCDRC (2024) ने SCDRC के आदेश को कुछ बदलावों के साथ बरकरार रखा। धनवापसी और ब्याज जारी रहे, लेकिन मुआवजे की राशि को रद्द कर ₹10,000 जुर्माना लगाया।

GLADA की दलील:
GLADA ने उच्च न्यायालय में यह दावा किया कि आवंटन पत्र के सेक्शन 4 के अनुसार, अगर आवंटनकर्ता निर्धारित समय में कब्जा नहीं लेता, तो इसे डीम्ड कब्जा माना जाएगा। इसके अलावा, GLADA ने आरोप लगाया कि खरीदार ने प्लॉट को सट्टा (speculative) उद्देश्य से खरीदा था।

हाईकोर्ट का फैसला:
हाईकोर्ट ने GLADA की दलीलों को खारिज कर दिया। बेंच ने कहा कि GLADA ने यह साबित नहीं किया कि कब्जा समय पर दिया गया या प्लॉट के लिए जरूरी विकास कार्य – जैसे सड़क कनेक्टिविटी, सीवरेज, या पूर्णता प्रमाण पत्र – पूरे किए गए।

अदालत ने स्पष्ट किया कि डीम्ड कब्जे का कॉन्सेप्ट केवल तभी लागू होता है जब डेवलपर पूरी तैयारी कर चुका हो और प्लॉट सौंपने के लिए तैयार हो, लेकिन खरीदार इसे लेने से इंकार करता हो। इस केस में ऐसा कुछ साबित नहीं हुआ।

हाईकोर्ट ने GLADA की याचिका को योग्यता से रहित मानते हुए खारिज कर दिया। इससे साफ है कि उपभोक्ता को उसका हक मिलता है और डेवलपर्स को समय पर सेवा देने की जिम्मेदारी है।

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Salute to Seniors! — ‘Sadde Buzurg Sadda Maan’: Punjab Government’ की अनोखी पहल, 22 Lakh बुज़ुर्गों को मिला सम्मान और Free Healthcare

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पंजाब सरकार की सोच हमेशा से कुछ अलग करने की रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस बार राज्य के उन लोगों के लिए कदम बढ़ाया है, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी का सबसे सुंदर हिस्सा अपने परिवार, समाज और देश के लिए समर्पित किया — हमारे बुज़ुर्ग।

आधुनिक दौर की तेज़ रफ़्तार ने बहुत कुछ बदल दिया है। घर तो बड़े हुए, लेकिन दिलों के बीच की दूरी भी बढ़ी। कई बुज़ुर्ग अपने ही घरों में अकेलेपन और लाचारी का सामना कर रहे थे। इन्हीं भावनाओं को समझते हुए मान सरकार ने शुरू किया है एक दिल को छू लेने वाला अभियान — साड्डे बुज़ुर्ग साड्डा मान’ (Sadde Buzurg Sadda Maan) यानी हमारे बुज़ुर्ग, हमारा मान

योजना की शुरुआत और उद्देश्य

यह योजना 3 अक्टूबर 2023, अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस पर शुरू की गई थी।
इसे सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने लॉन्च किया था।

इस अभियान का मकसद सिर्फ आर्थिक मदद देना नहीं है, बल्कि पंजाब के बुज़ुर्गों को फिर से सम्मान, प्यार और आत्मनिर्भरता देना है। सरकार चाहती है कि हर बुज़ुर्ग को एहसास हो कि वे समाज के लिए आज भी उतने ही कीमती हैं, जितने कभी थे।

मुफ्त हेल्थ कैम्प और मेडिकल सुविधा

इस योजना के तहत पूरे पंजाब में जिला स्तर पर हेल्थ कैम्प्स लगाए जा रहे हैं।
इन हेल्थ कैम्प्स में बुज़ुर्गों की उम्र से जुड़ी बीमारियों की जांच और इलाज किया जाता है।

इन सुविधाओं में शामिल हैं:

  • ENT (कान, नाक, गला) जांच
  • आंखों की जांच और मुफ्त चश्मे का वितरण
  • जरूरी दवाओं की मुफ्त सुविधा
  • आंखों की सर्जरी भी बिल्कुल मुफ्त

अब तक ये स्वास्थ्य शिविर पंजाब के 22 जिलों में लगाए जा चुके हैं —
फरीदकोट, मोगा, लुधियाना, मुक्तसर साहिब, फिरोजपुर, फाजिल्का, बठिंडा, मानसा, संगरूर, मलेरकोटला, बटाला, पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, जालंधर, एसएएस नगर (मोहाली), होशियारपुर, कपूरथला, पटियाला, रूपनगर और फतेहगढ़ साहिब।

इन शिविरों में हज़ारों बुज़ुर्गों ने न सिर्फ इलाज करवाया बल्कि नई उम्मीद के साथ ज़िंदगी जीने का आत्मविश्वास भी पाया।

वृद्धावस्था पेंशन योजना आर्थिक सहारा

‘साड्डे बुज़ुर्ग साड्डा मान’ का एक अहम हिस्सा है वृद्धावस्था पेंशन योजना।
इसके तहत राज्य के 22–23 लाख वरिष्ठ नागरिकों को हर महीने ₹1,500 रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है।

यह राशि सीधे बुज़ुर्गों के बैंक खाते में Direct Benefit Transfer (DBT) के ज़रिए भेजी जाती है ताकि किसी को दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार,

  • अगस्त 2025 तक ₹2055.05 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।
  • इस दौरान 23.09 लाख बुज़ुर्गों को पेंशन का लाभ मिला है।
  • मौजूदा वित्त वर्ष 2025–26 के लिए ₹4100 करोड़ का बजट रखा गया है।

यह कदम उन लोगों के लिए बड़ा सहारा है, जिनकी उम्र ढल चुकी है लेकिन आय का कोई स्थायी स्रोत नहीं है।

टोल-फ्री हेल्पलाइन – 14567

पंजाब सरकार ने बुज़ुर्गों की समस्याओं को सुनने और हल करने के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14567 भी शुरू किया है।
इस नंबर पर बुज़ुर्ग अपनी परेशानी या सुझाव साझा कर सकते हैं।
यह हेल्पलाइन उनकी आवाज़ को सरकार तक पहुँचाने का एक सीधा रास्ता है।

वरिष्ठ नागरिक कार्ड

बुज़ुर्गों की पहचान और सुविधाओं की आसान पहुंच के लिए सरकार ने Senior Citizen Cards जारी करने की प्रक्रिया शुरू की है।
इन कार्ड्स से उन्हें सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ तुरंत मिल सकेगा।

सम्मान की वापसी

यह योजना सिर्फ पेंशन या इलाज तक सीमित नहीं है। इसका सबसे बड़ा असर उस आत्म-सम्मान पर पड़ा है, जो अकेलेपन और उपेक्षा के कारण कहीं खो गया था।
जब कोई बुज़ुर्ग मुफ्त में चश्मा पाकर अपने पोते का चेहरा फिर से साफ़-साफ़ देखता है, तो उसकी आँखों में जो चमक होती है — वही इस योजना की असली सफलता है।

मंत्री डॉ. बलजीत कौर का बयान

डॉ. बलजीत कौर ने कहा —

“सरकार का लक्ष्य सिर्फ आर्थिक मदद देना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि पंजाब का हर बुज़ुर्ग सम्मान के साथ, स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सके। हमारे बुज़ुर्ग हमारी धरोहर हैं, उनका सम्मान हमारा कर्तव्य है।”

 ‘साड्डे बुज़ुर्ग साड्डा मान’ सिर्फ एक सरकारी स्कीम नहीं, बल्कि यह पंजाब की संस्कृति और सेवा भावना का प्रतीक है।
यह हमें याद दिलाती है कि जिन बुज़ुर्गों ने हमें सँवारा, आज उनकी देखभाल और सम्मान हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

जैसे एक कहावत है —

“जिस घर में बुज़ुर्गों का मान होता है, वहाँ हमेशा सुख और समृद्धि रहती है।”

मान सरकार की यह पहल न सिर्फ बुज़ुर्गों की जिंदगी आसान बना रही है, बल्कि पंजाब की असली पहचान — सेवा और सम्मान — को भी नए रूप में जगा रही है।

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Skill Development में Punjab आगे — Mann sarkar की पहल से 27,500 युवाओं को मिला Driving Training का सुनहरा मौका

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कभी पंजाब की सड़कों पर गाड़ियाँ तो खूब दौड़ती थीं, लेकिन कई घरों के चूल्हे ठंडे पड़ चुके थे। बेरोज़गारी ने युवाओं के चेहरे से मुस्कान छीन ली थी। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार ने युवाओं के लिए एक ऐसा “गियर” बदला है, जिससे उम्मीद की रफ़्तार फिर से तेज़ हो गई है।

पंजाब सरकार के परिवहन विभाग की एक बड़ी पहल — रीजनल ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर (Regional Driving Training Centre – RDTC) मलेरकोटला ने अब तक 27,500 युवाओं को ड्राइविंग का प्रोफेशनल प्रशिक्षण देकर उनके करियर को नई दिशा दी है।

क्या है यह योजना?

यह योजना जून 2023 में शुरू की गई थी। इसे पंजाब सरकार ने अशोक लीलैंड लिमिटेड के सहयोग से बनाया है। इसका मकसद है —

  • पंजाब के ग्रामीण और शहरी युवाओं को कुशल ड्राइवर बनाना,
  • रोजगार के नए अवसर देना,
  • और सड़क सुरक्षा (Road Safety) को बेहतर बनाना।

सरकार चाहती है कि जो युवा मेहनत करने के लिए तैयार हैं, उन्हें सही ट्रेनिंग और पहचान मिले।

ट्रेनिंग में क्या सिखाया जाता है?

यह प्रशिक्षण सिर्फ गाड़ी चलाना सिखाने तक सीमित नहीं है।
यहाँ युवाओं को सिखाया जाता है —

  • सड़क अनुशासन (Road Discipline)
  • आपातकालीन स्थिति में कैसे संभालें गाड़ी
  • यात्री सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों की जानकारी
  • नई तकनीक और मॉडर्न व्हीकल्स की समझ

यानी, यह सिर्फ “ड्राइविंग” नहीं बल्कि सेफ और प्रोफेशनल ड्राइविंग की कला सिखाने का मिशन है।

27,500 युवाओं के लिए नई उम्मीद

अब तक 27,500 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
यह आंकड़ा सिर्फ एक नंबर नहीं है, बल्कि 27,500 परिवारों के जीवन में बदलाव की कहानी है।
यह प्रशिक्षण युवाओं को सिर्फ सरकारी ट्रांसपोर्ट में ही नहीं, बल्कि देश और विदेश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर में भी काम करने का मौका दे रहा है।

भविष्य की योजनाएँ

पंजाब सरकार यहीं नहीं रुक रही।
अब योजना है कि पूरे राज्य में 21 स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक (Automated Driving Test Tracks) पर ऐसे और ट्रेनिंग स्कूल शुरू किए जाएँ।
इसके साथ ही, लोगों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण (Online Training) की सुविधा भी बढ़ाई जा रही है, ताकि हर कोई घर बैठे सीख सके।

परिवहन मंत्री का बयान

पंजाब के परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने कहा,

“यह प्रशिक्षण केंद्र न सिर्फ ड्राइविंग स्किल बढ़ा रहा है, बल्कि ड्राइवरों की समाज में इज़्ज़त और स्थिति भी ऊपर उठा रहा है। सरकार की कोशिश है कि हर चालक एक जिम्मेदार नागरिक बने और सड़क सुरक्षा को बढ़ावा दे।”

सड़क से समाज तक बड़ा असर

यह पहल बताती है कि मान सरकार का ध्यान सिर्फ सड़कों और वाहनों पर नहीं, बल्कि मानव संसाधन (Human Resource) पर भी है।
एक कुशल चालक न केवल दुर्घटनाएँ कम करता है, बल्कि परिवहन की गति, सुरक्षा और भरोसेमंद सेवा को भी बढ़ाता है।
इससे न सिर्फ युवाओं को रोज़गार मिलेगा, बल्कि अर्थव्यवस्था और समाज दोनों को मजबूती मिलेगी।

आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी” – मान सरकार का संदेश

यह योजना पंजाब के युवाओं को साफ संदेश देती है —

“आपकी मेहनत और हुनर को सरकार पहचान देगी।
इस मिट्टी ने आपको जो हुनर दिया है, अब वही आपके भविष्य की चाबी बनेगा।”

यह सिर्फ एक ट्रेनिंग नहीं, बल्कि बेरोज़गारी की खाई पर बना एक पुल है, जो युवाओं को सम्मान और आत्मनिर्भरता की मंज़िल तक पहुँचा रहा है।

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