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Punjab को Flood Relief Package नहीं मिला, AAP ने Assembly में किया जोरदार Protest
पंजाब को बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने ₹1600 करोड़ का राहत पैकेज घोषित किया था। लेकिन यह वादा अब तक पूरा नहीं हुआ और पंजाब के खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुँचा है। इस बात के विरोध में शुक्रवार को AAP के विधायक विधानसभा में जोरदार प्रदर्शन कर रहे थे।
विधायकों ने हाथों में प्लेकार्ड लेकर नारेबाजी की और इसे पंजाब के साथ “धोखा” बताया। उनका कहना था, “हमें ₹20,000 करोड़ की जरूरत थी, लेकिन मिला ₹1600 करोड़ का ‘जुमला’, और उसमें से भी एक रुपया नहीं आया।”
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में विधानसभा में यह संदेश दिया गया कि अब पंजाब सिर्फ वादों और खैरात से संतुष्ट नहीं होगा। उन्हें असल राहत चाहिए, जिससे किसानों की फसलें, टूटी सड़कें और बाढ़ में प्रभावित लोगों के जीवन को पटरी पर लाया जा सके।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का पंजाब दौरा केवल “फोटो खिंचवाने” तक सीमित था। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री उन परिवारों को सांत्वना तक नहीं दे पाए जिन्होंने बाढ़ में अपने तीन सदस्य खो दिए। उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि संकट के समय कांग्रेस ने पंजाब का साथ नहीं दिया।
जल संसाधन मंत्री ब्रिंदर कुमार गोयल ने कहा, “पंजाब ने ₹20,000 करोड़ की राहत मांगी थी, लेकिन केंद्र ने केवल ₹1,600 करोड़ का ‘झुनझुना’ थमा दिया। यह किसानों और बाढ़ पीड़ितों के साथ क्रूर मजाक है।” उन्होंने मांग की कि केंद्र तुरंत इस पैकेज को पंजाब आपदा राहत कोष में जारी करे।
राज्य के राजस्व मंत्री हरदीप सिंह मुंडियन ने इसे पंजाब का अपमान बताया। उनका कहना था कि मुख्य सचिव ने प्रधानमंत्री को नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट दी थी, जिसमें बर्बाद हुई फसलें (1.91 लाख हेक्टेयर), टूटी सड़कें, उजड़े घर और जमीनें शामिल थीं। इसके बावजूद ₹1600 करोड़ का वादा केवल कागजों में ही रह गया।
सरकार का कहना है कि बाढ़ से हुए नुकसान के मद्देनजर ₹60,000 करोड़ की जरूरत है। ताकि किसान मुआवजा पा सकें, बुनियादी ढांचा फिर से बने और लोगों की जिंदगी पटरी पर लौट सके।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा से साफ संदेश दिया कि पंजाब अब केवल राहत नहीं मांगेगा, बल्कि अपने हक और इज्जत की लड़ाई लड़ेगा। उन्होंने कहा, “यह केवल राहत का मामला नहीं है, बल्कि पंजाब की इज्जत का सवाल है।”