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Punjab में Maize Revolution: Crop Diversification से बढ़ी किसानों की उम्मीदें
“रंगला पंजाब” की ओर एक नया कदम – मक्का का रकबा 16.27% बढ़ा, अब 1 लाख हेक्टेयर तक पहुँचा
पंजाब में अब खेतों की तस्वीर बदल रही है। बरसों से जहाँ तक नज़र जाती थी, वहाँ धान की हरियाली दिखती थी — पर अब धीरे-धीरे मक्का की सुनहरी लहरें उस जगह ले रही हैं। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सरकार ने जिस “फसल विविधीकरण मिशन (Crop Diversification Mission)” की शुरुआत की थी, वह अब एक सच्ची “मक्का क्रांति (Maize Revolution)” बनती जा रही है।
धान से मक्का की ओर बदलाव: किसानों की नई सोच
पंजाब का किसान लंबे समय से धान-गेहूँ के चक्रव्यूह में फंसा हुआ था। धान की खेती में ज़्यादा पानी लगता है और इससे भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा था। ऊपर से फसल की लागत बढ़ती जा रही थी और आमदनी घट रही थी। किसानों की यही मुश्किल अब बदल रही है — क्योंकि सरकार ने उन्हें कम पानी वाली और ज़्यादा मुनाफ़े वाली फसलों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।
सरकार की मेहनत का असर अब दिख रहा है। 2024 में जहाँ मक्का की खेती 86,000 हेक्टेयर में होती थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 1,00,000 हेक्टेयर तक पहुँच गई है — यानी 16.27% की बढ़ोतरी। यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि पंजाब के किसानों की सोच में आए बदलाव की कहानी है।
सरकार का विज़न: “रंगला पंजाब” का असली अर्थ
“रंगला पंजाब” की बात सिर्फ़ शहरों को सुंदर बनाने तक सीमित नहीं है। इसका असली मतलब है —
धरती को स्वस्थ बनाना और किसान को समृद्ध करना।
धान की जगह मक्का जैसी फसलों को बढ़ावा देकर राज्य सरकार ने यह साबित किया है कि अगर नीयत साफ़ हो तो बदलाव ज़रूर आता है।
6 जिलों में शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में राज्य सरकार ने 6 जिलों — बठिंडा, संगरूर, कपूरथला, जालंधर, गुरदासपुर और पठानकोट — में 12,000 हेक्टेयर भूमि को धान से मक्का में बदलने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।
इस परियोजना के तहत:
- किसानों को ₹17,500 प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जा रही है।
- इसके अलावा, किसानों को ₹7,000 प्रति एकड़ की सब्सिडी भी मिलेगी।
- किसानों का मार्गदर्शन करने के लिए 185 “किसान मित्र” (Farmer Friends) नियुक्त किए गए हैं।
- इस योजना से लगभग 30,000 किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुडियाँ ने हाल ही में एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक में इस प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा की और खरीफ मक्का की सुचारू खरीद के लिए ज़रूरी निर्देश जारी किए।
जिलों में मक्का की बढ़ती खेती
कृषि विभाग के अनुसार, खरीफ मक्का अब लगभग 7,000 हेक्टेयर (19,500 एकड़) भूमि में बोया गया है।
सबसे अधिक रकबा पठानकोट जिले में दर्ज किया गया — 4,100 एकड़,
इसके बाद संगरूर (3,700), बठिंडा (3,200), जालंधर (3,100), कपूरथला (2,800) और गुरदासपुर (2,600) का स्थान है।
यह आँकड़े दिखाते हैं कि धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से किसान मक्का की खेती को अपना रहे हैं।
खरीद और गुणवत्ता पर ज़ोर
सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों को अपनी उपज बेचने में कोई दिक्कत न हो,
कृषि विभाग, पंजाब मंडी बोर्ड और मार्कफेड की जिला स्तरीय समितियाँ बनाई हैं।
कृषि मंत्री ने किसानों से अपील की है कि वे सूखा मक्का लेकर मंडी आएँ, ताकि खरीद में आसानी रहे।
वहीं कृषि विभाग के सचिव डॉ. बसंत गर्ग ने निर्देश दिया कि मक्का में 14% से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने सभी ज़िला अधिकारियों को किसानों को जागरूक करने और बेहतर मूल्य दिलाने के लिए सक्रिय रूप से काम करने को कहा है।
बैठक में श्री रामवीर (सचिव, पंजाब मंडी बोर्ड), श्री कुमार अमित (MD, मार्कफेड) और श्री जसवंत सिंह (निदेशक, कृषि) सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
पर्यावरण और किसानों के लिए लाभ
मक्का की खेती से:
- पानी की खपत कम होती है, जिससे भूजल स्तर बचता है।
- किसानों को बेहतर दाम और अधिक आमदनी मिलती है।
- खेत की मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है।
कुल मिलाकर, यह बदलाव न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी एक दोहरी जीत (double victory) है।
“मक्का क्रांति” — किसानों का नया आत्मविश्वास
जब सरकार किसानों को MSP की गारंटी और आर्थिक सुरक्षा का भरोसा देती है,
तो किसान पुरानी परंपराओं से निकलकर नया कदम उठाने से नहीं डरते।
पंजाब के किसान अब यही कर रहे हैं —
धान की जगह मक्का बोकर वे न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी बदल रहे हैं, बल्कि धरती माँ का कर्ज भी चुका रहे हैं।
यह “मक्का क्रांति” पंजाब की भावनात्मक और आर्थिक आज़ादी का प्रतीक बन चुकी है।
यह दिखाती है कि अगर सरकार और किसान एक साथ खड़े हों,
तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती — और सफलता तय होती है।
पंजाब में यह फसल विविधीकरण अभियान सिर्फ़ एक सरकारी योजना नहीं,
बल्कि एक जन-आंदोलन बन चुका है।
हर वह किसान जो धान की जगह मक्का बो रहा है,
वह असल में भविष्य की खुशहाली बो रहा है।
“रंगला पंजाब” अब खेतों से होकर निकल रहा है —
जहाँ सुनहरी मक्का की बालियाँ हवा में झूम रही हैं,
और हर किसान की मुस्कान कह रही है —
“बदलाव संभव है।”